Veer Baal Divas : ‘प्राण जाए पर धर्म न जाए’ …ये सीख दी गुरु गोबिन्द सिंह के साहिबजादों ने: रामेश्वर
हाइलाइट्स
- हजारों युवाओं के साथ विधायक रामेश्वर शर्मा ने मनाया वीर बाल दिवस, गुरु गोबिन्द सिंह के साहिबजादों को नमन किया।
- वीर बाल दिवस पर संत नगर में आयोजन, विधायक रामेश्वर शर्मा ने साहिबजादों को श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया
भोपाल। BDC NEWS
गुरु गोबिन्द सिंह के साहिबजादों के बलिदान की याद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 में प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से हर साल गुरु गोबिन्द सिंह के पुत्र साहिबजादा बाबा फतेह सिंह जी और साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी के बलिदान दिवस को पूरे देश में वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी तारतम्य में भोपाल की हुजूर विधानसभा के विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी संत हिरदाराम नगर में वीर बाल दिवस मनाया। विधायक शर्मा के आयोजन में हजारों-हजार नागरिकों ने सम्मिलित होकर धर्म की रक्षा के लिए प्राणोत्कर्ष करने वाले साहिबजादों के बलिदान को याद कर नमन किया।
बाल युवाओं की सहभागिता पर केन्द्रित रहा आयोजन
संत नगर में 7 और 9 वर्ष के साहिबजादों की शहादत को याद करने वाला यह आयोजन पूर्णतः बाल एवं युवाओं पर केन्द्रित रहा। आयोजन में स्कूल के छात्रों की सहभागिता अधिक रही। जिनके साथ विधायक रामेश्वर शर्मा ने वीर बाल दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन का लाइव प्रसारण देखा। विधायक शर्मा ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा कि – अपने धर्म पर अडिग रहने वाले साहिबजादा फतेह सिंह और जोरावर सिंह ने जब इस्लाम कुबूल करने के स्थान पर स्वयं को दीवार में चुनवाने का फैसला किया तब उनकी उम्र केवल 7 एवं 9 साल थी। इतनी कम उम्र में भी अपने धर्म और संस्कृति के प्रति उनके सर्वोच्च बलिदान से हर युवा को सीख लेनी चाहिए।
प्राण जाए पर धर्म न जाए, ये सीख अगर किसी ने दी तो वो गुरु गोबिन्द सिंह के साहिबजादो हैं – रामेश्वर
विधायक रामेश्वर शर्मा ने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि – दुनिया के इतिहास में मुगलों का अत्याचार किसी से छुपा नहीं है। आतातायी इस्लामिक आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति और धर्म को खंडित करने का अनेकों बार प्रयास किया, लेकिन धन्य हैं वो गुरु गोबिन्द सिंह जी जिनके पुत्रों पर मर जाना स्वीकारा लेकिन अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया। गुरु गोबिन्द सिंह के दो पुत्र मुगलों से युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए, बचे दो पुत्रों को बंदी बनाकर उनके सामने शर्त रखी गई कि या तो इस्लाम कुबूल करो, या दीवार में चुनवा दिए जाओगे। तब 7 और 9 साल के छोटे बालकों ने जो निर्णय लिया आज वो हम सभी को गौरव और गर्व से भर देता है। उन्होंने स्वयं को दीवार में चुनवा लिया लेकिन धर्म परिवर्तन नहीं किया। उनका बलिदान आज हम सभी को धर्म और संस्कृति के लिए जीने की प्रेरणा देता है। राम जी के कुल का एक नारा था कि प्राण जाएं पर वचन न जाएं, उसी प्रकार प्राण जाए पर धर्म न जाए, ये सीख अगर किसी ने दी तो वो गुरु गोबिन्द सिंह के साहिबजादों ने दी है।
पूरी दुनिया में गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार से बड़ा बलिदानी परिवार नहीं- रामेश्वर
देश और धर्म के लिए अपने परिवार का बलिदान देने वाले गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार से बड़ा बलिदानी परिवार पूरी दुनिया में देखने को नहीं मिलता। सनातन का केसरिया केवल गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान की वजह से फहरा रहा है। हम उन्हें नमन करते हैं।
भोपाल डॉट कॉम डेस्क