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सिंधी भाषा की विरासत संजोने को युवा पीढ़ी तैयार: शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला

हिरदाराम नगर, BY Ravi Kumar

मध्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता में सिंधी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए मध्य प्रदेश सिंधी साहित्य अकादमी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ‘सिंधियत की पाठशाला’ नामक एक नई पहल के तहत, अकादमी ने हाल ही में दो दिवसीय सिंधी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसमें प्रदेशभर से सिंधी भाषी युवक-युवतियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।

प्रदेश के कोने-कोने से पहुंचे प्रतिभागी

लालघाटी स्थित एक निजी होटल के सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में इंदौर, भोपाल, खंडवा, उज्जैन, नर्मदापुरम, विदिशा, इटारसी, सागर, जबलपुर, बैतूल, छतरपुर, डबरा, टीकमगढ़ और सुल्तानपुर जैसे विभिन्न शहरों से आए प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह व्यापक भागीदारी सिंधी भाषा के प्रति युवा पीढ़ी के बढ़ते लगाव और उसे आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

विशेषज्ञों ने दिया गहन प्रशिक्षण

अकादमी के निदेशक राजेश कुमार वाधवानी ने बताया कि इस कार्यशाला में वरिष्ठ साहित्यकार खीमन यू. मूलाणी, बलू चोइथानी, भगवान बाबानी और नंदकुमार सनमुखानी जैसे दिग्गजों ने कुल 11 सत्रों में शिक्षकों को प्रशिक्षित किया। प्रशिक्षण के दौरान सिंधी वर्णमाला, मात्राओं का उपयोग, शब्द मिलान, वाक्य विन्यास और सिंधी अंकों की विस्तृत जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त, छात्रों को शरीर के अंग, फल-फूल, सब्जियां, खाद्य पदार्थ, रंग, परिधान, सिंधी पर्व-परंपराएं, रिश्ते-नाते और सिंधी कला व संस्कृति से जुड़े वाद्य यंत्रों के बारे में भी गहन जानकारी प्रदान की गई।

‘सिंधियत की पाठशाला’ का होगा आयोजन

इस कार्यशाला में प्रशिक्षित ये नव-शिक्षक अब अकादमी के सहयोग से अपने-अपने शहरों में 15 दिवसीय “सिंधियत की पाठशाला” का आयोजन करेंगे। इस पाठशाला का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को सिंधी भाषा का आधारभूत ज्ञान प्रदान करना है, ताकि समाज की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत का प्रभावी ढंग से संरक्षण और संवर्धन किया जा सके। यह पहल सिंधी भाषा को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।

भोपाल डॉट कॉम, ब्यूरो

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