मेरी कलमसंतनगर Exclusive

सिंध की यादों को संजोए रखने वालीं आंखें बंद होने के बाद भी देखेंगी दुनिया

अजय तिवारी
सिंधी की यादों के साथ बचपन में तब के बैरागढ़ और आज के संत हिरदाराम नगर में कदम रखा था। संघर्ष, सफलता और सेवा के 84 वर्षों की यात्रा में जीविकोर्जन के लिए शासकीय सेवा की। परिवार की जिम्मेदारियों के साथ समाज के लिए खुद को समर्पित करने जज्बा जीवन में बनाए रखा। अंतिम समय तक सेवा के उसी जज्बे के साथ अचानक विदाई ले ली। उन्होंने भले ही फानी दुनिया से अलविदा कह दिया हमेशा के लिए चिरनिद्रा में सो गए हों, लेकिन उनकी आंखें दो अनजान लोगों की जिंदगी के जरिये दुनिया को देखती रहेंगी।


शुक्रवार शाम वे अपनी सामाजिक खुद तय की गई ड्यूटी पर थे। सूर्य पश्चिमांचल अस्त हो रहा था। तभी खबर आई उनके अचानक चले जाने की। स्तब्धता थी, चलते-फिरते इंसान की सांसों पर अचानक पूर्ण विराम लगने की। हर शख्स के जीवन के कैनवास पर बहुत से रंग होते हैं। कुछ चटख होते हैं, कुछ सुकून देने वाले। ‘मुखी’ (श्री साबूमल रीझवानी) के जीवन का कैनवास भी इंसान थे, इसलिए चटख और सुकून देने वाले रंगों वाला है। पंचायत के पुराने से नए कार्यालय तक एक कौने में उनकी जगह पूज्य सिंधी पंचायत कार्यालय आने वाला कोई भी नहीं भूलेगा। कुर्सी याद से जोड़ेगी रीझवानी की।
पंचायत के सुप्रीमो रहने का मौका पांच बार मिला। लोकतांत्रिक पद्धति से अपनी लोकप्रियता ने कहा, यह हैं समाज के मुखी। सिंधी समाज से जुड़े फैसलों में वे होते थे। संतनगर की समस्याओं के लिए ज्ञापन लेकर दौड़ते थे। सिंधी से आए बुजुर्गों की फेहरिस्त अब लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच गई है। बतौर साहित्यकार सिंध, सिंधी और सिंधियत की नुमाइंदगी का एक पन्ना उनके जाने के बाद पलट गया है।


बहुत अच्छे से याद है हर चैतीचांद पर भगवान झूलेलाल बनकर घोड़े पर सवार होकर आशीर्वाद देते रीझवानीजी। सिंधी साहित्य, कला, संस्कृति के लिए रिटायर्ड होने के बाद सिंधी साहित्य अकादमी की कमान संभाली, सीमित संसाधनों में जो हो सकता था वो किया। संतनगर के होने वाले कार्यक्रमों के वह स्थायी अतिथि थे।


चालीहा के दिनों में न केवल कठोर व्रत साधना की, बल्कि साधकों का कारवां बनाया। पल्लव की तो हमेशा सबकी खुशहाली के लिए। छेज किया तो परंपरा को दूसरों तक पहुंचाने के लिए। उनका जाना एक समाजसेवी, एक साहित्यकार एक अतिथि का चले जाना है। वह समाजसेवा के क्षेत्र में जो लकीर खींचकर गए हैं, उसे बड़ी लकीर संभव नहीं होगी।

भोपाल डॉट कॉम (BDC NEWS) परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

संतनगर के यथा शक्ति विश्रामघाट पर शनिवार को भीड़ जुटी थी, पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष साबू रीझवानी को अंतिम विदाई देने के लिए जिसकी हर दिन की दिनचर्या में किसी के दिवंगत होने पर शोक सभा में जाना होता था। विश्रामघाट में श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ पगड़ी की जगह तारीख की जानकारी देते थे। आज उनकी निश्चेत देह पंचतत्व विलीन हो गई। अंतिम यात्रा में एक संदेश था सेवा के दीवाने का अंतिम सफर ऐसा होता है। संतनगर के बाजार बंद थे। आम और बेहद खास लोग रीझवानी को विदा कर अपनी भावांजलि अर्पित करने पहुंचे। अग्नि की लपटों में भले ही रीझवानी की पार्थिव देह विलीन हो गई हो, लेकिन उनके होने का अहसास संतनगर और सिंधी समाज करता रहेगा।

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