नेताजी चुप हैं…. सियासत की खातिर सिंधी समाज की लड़ाई से दूरियां
भाजपा नेता न तो सिंधी समाज को चुप करा पा रहे न दिला पा रहे न्याय
गुस्से में समाज- कहा, राजनीति चमकाने बड़े आयोजनों में आती है याद
हिरदाराम नगर। नरेश तोलानी
राजनीति के साथ सिंधी संगठनों से जुड़े भाजपा नेता समाज के संघर्ष में दूरियां बनाए हुए हैं। न तो वह सरकार से सिंधी समाज की मांगें पूरी करा पा रहे हैं, न सिंधी समाज को सरकार के खिलाफ खड़ा होने से रोक पा रहे हैं। ताजा मामला शुजालपुर में बैंक कर्मचारी नरेश फूलवानी के लिए सिंधी सेंट्रल पंचायत भोपाल की लड़ाई का है। अभी भाजपा संगठन में बड़ा ओहदा रखने वाले नेता खामोश हैं। तमाम नाम ऐसे हैं जो सिंधी समाज का प्रतिनिधित्व करने का दम भरते हैं, लेकिन सिंधी समाज की जमीन लड़ाई में साथ खड़े होना तो दूर एक शब्द भी नहीं बोले हैं।
इस मसले पर सिंधी पंचायत के नुमाइंदों का कहना है राजनीति में हासिए पर आने पर ही समाज की याद आती है। समाज के बड़े आयोजन में राजनीति चमकाने के लिए आर्थिक सहयोग के समय सिंधी-सिंधी करते हैं। पंचायत का गुस्सा लाजमी है। इस समय भाजपा संगठन में बात करें तो प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी, जो सिंधी समाज की सामाजिक गतिविधियों में बड़ा नाम हैं, लेकिन भाजपा सरकार के खिलाफ जब भी सिंधी समाज सड़कों पर उतरा तो वह चुप रहे। बैंक कर्मी-मंत्री परिजन विवाद मामले भी चुप है। मामला हस्तक्षेप से संभल सकता था, क्योंकि मंत्री और सिंधी समाज के बीच संवाद की स्थिति बना सकते थे। नौबत भोपाल बंद तक आ गई है, लेकिन उनकी उदासीनता चर्चाओं में है।
खामोशी चर्चाओं में
सिंधी समाज के अन्य भाजपा नेताओं के नाम की बात करें तो सीनियर लीडर प्रकाश मीरचंदानी, मप्र आवास संघ के पूर्व अध्यक्ष सुशील वासवानी, प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी जैसे कई नाम है, जो राजनीति के साथ सिंधी समाज के संगठनों से जुड़े हैं। एक भी नेता अभी तक इस मसले पर कुछ नहीं बोला है।
कांग्रेसी की चुप्पी पर आश्चर्य
दिलचस्प बात यह है कि बैंक कर्मी-मंत्री विवाद में कांग्रेस सिंधी सेंट्रल पंचायत के साथ खड़े हो सकते थे, लेकिन कांग्रेस नेता नरेश ज्ञानंचदानी, नानक चंदनानी व अन्य की सक्रियता भी नजर नहीं आए। उनके हाथ तो भाजपा सरकार के मंत्री के खिलाफ मुद्दा लगा था।