Holi 2024 Bairagarh : 50 सालों से नहीं जलती संतनगर में लकड़ी की होली
Holi 2024 Bairagarh: संतनगर के स्कूलों में त्योहार मनाने की परंपरा
संतनगर में होली पर लकड़ी बचाने का संदेश देने के लिए स्कूलों में कंडों की होली जलाने की परंपरा पांच दशक पहले शुरू हुई थी, जो अभी भी बनी हुई है। वैसे हर पर्व को सादगी से मनाने का संस्कार बचपन में ही डालने के लिए त्योहार मनाए जाते हैं और विशिष्ठजन पर्व को सादगी और गरिमा से मनाने का संदेश देते हैं।
हर पर्व को मनाने के संस्कार बच्चों में स्कूली जीवन से डाले जाते हैं। पर्यावरण को बचाने का संस्कार डालने के लिए स्कूलों में कंडों की होली जलाने की परंपरा है। पर्व मनाते हुए बच्चों को यह बताने की कोशिश होती है कि जंगलों को काटकर होली जलाना ठीक नहीं। यह पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है। 50 साल पहले स्कूलों में होलिका दहन इसलिए शुरू किय गया था कि बच्चों को बताया जा सके कि कंडों की होली जलाना चाहिए। इससे जंगलों को कटने से बचाया जा सकता है। लाखों क्विंटल लकड़ी पर्व के नाम पर जला दी जाती है। शिक्षाविद, समाज के विशिष्टजन बच्चों को पर्व की बुराइयों से दूर रहकर उत्साह के साथ होली मनाने की सीख देते हैं। साधु वासवानी स्कूल और नवयुवक सभा की शैक्षणिक संस्थाओं में भी इस बार कंडों की होली जलाई जाएगी।
सूखी होली का दिया जाएगा संदेश
बच्चों को स्कूलों में सूखी होली मनाने का संदेश दिया जाएगा। विशिष्टजन बच्चों के बीच जाकर पानी बचाने का संदेश देंगे। पर्व के अंतिम दिनों में इस तरह के आयोजन किए जाते हैं, आज नहीं चेते तो आने वाले समय में बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे।
पर्यावरण हमारी चिंता का विषय होना चाहिए। आने वाली पीढ़ी के लिए इसे सहज कर देना हमारी जिम्मेदारी है, इसलिए अभी से बच्चों को होली पर क्विंटल लकड़ी जलने से बचाने का संदेश देना चाहिए। कंडों की होली जलाकर हम जंगल बचाने में कामयाब होंगे। यह परंपरा नवयुवक सभा से शुरू की गई थी, आज स्कूलों के अलावा एक दर्जन स्थानों पर लोग भी कंडों की होली जलाने लगे हैं। – विष्णु गेहानी शिक्षाविद
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Holi 2024 Bairagarh: संतनगर के स्कूलों में त्योहार मनाने की परंपरा संतनगर में होली पर लकड़ी बचाने का संदेश देने
पूजा सिंह, भोपाल डॉट कॉम