मंत्रालय गपशप… सूबे की सियायत-नौकरशाही पर घूमता आईना
पद गया, रुतबा गया, स्वागत भी फीका !
एक समय उनका रुतबा था, मंत्री हो, विधायक हो या अधिकारी, सब उनके इशारों पर नाचते थे। जिस बैठक में, कार्यक्रम में, सभा में वह पहुंचते थे तो पूरा सदन उनकी आवभगत करता था, लेकिन अब यह रुतबा चला गया है। वक्त में ऐसी बाजी पलटी की जो मंत्री या विधायक उनके आने-जाने की हर खबर रखते थे लेकिन जब वह वहां पहुंचे तो स्वागत में केवल एक मंत्री और विधायकों ने ही इस्तकबाल किया। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के एक कद्दावर नेता की। बीते दिनों कद्दावर नेता विधानसभा में पहुंचे तो सदन की कार्रवाई सुचारू रूप से चल रही थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष सदन की कार्रवाई में व्यस्त थे। इस दौरान सदन की कार्रवाई में हंगामा भी हुआ। इस दौरान जब विधानसभा अध्यक्ष ने नाम लेते हुए आसंदी से घोषणा की कि आज हमारे बीच दीर्घा में प्रदेश के कद्दावर नेता मौजूद है तो उनके स्वागत में अनेक विधायकों ने मेज थपथपाकर किया लेकिन यह अजीब ही रहा कि सरकार के दो-तीन मंत्री ने ही मेज थपथपाकर कद्दावर नेता जी का अभिनंदन किया। नेताजी को यह ऐसा जरूर हो गया कि पद के साथ रुतबा भी चला जाता है।
संचालनालय में मंत्री की बढ़ी निगरानी
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का लोक शिक्षण संचालनालय में बढ़ते दखल से संचालनालय के अधिकारियों और कर्मचारियों में संशय का माहौल है। मंत्री ने संचालनालय की आंतरिक और दैनिक गतिविधियों पर निगरानी और बढ़ा दी है हैं और मंत्री विभाग से संबंधित हर छोटे-बड़े मसले पर संज्ञान लेने लगे हैं। ताजा मामले में भोपाल के ऑफिसों में जिलों से कुछ कर्मचारियों की अटैच किया गया। कर्मचारियों का अटैचमेंट किसी विशेष काम के लिए करना विभागाध्यक्ष कार्यालय की आंतरिक व्यवस्था है यह ट्रांसफर नहीं है। इधर स्कूल शिक्षा मंत्री का मानना है कि किसी भी कर्मचारी का अटैचमेंट और अटैचमेंट समाप्त होने के बाद उसकी पदस्थापना मंत्री से प्रशासकीय अनुमोदन के पश्चात होनी चाहिए। मंत्री जी का कहना है की अटैचमेंट के नाम पर संचालनालय के अधिकारी चाहते कर्मचारियों को महीना पदस्थ रखते हैं जबकि सरकार अटैचमेंट के खिलाफ है। सरकार ने साल की शुरुआत में ही डेढ़ हजार से अधिक अटैचमेंट समाप्त किए थे। मंत्री अटैचमेंट को लेकर अफसरों को फटकार भी लगा चुके हैं लेकिन अधिकारी बेलगाम है। अफसर किसी न किसी वजह से कर्मचारियों को भोपाल पदस्थ कर उसे अटैचमेंट का रूप देते हैं।
फील्ड में काम करना चाहते हैं अफसर
सरकार के मुखिया के कार्यालय में पदस्थ एक डिप्टी कलेक्टर इन दोनों फील्ड में काम के लिए बेताब है। अधिकारी चाहते हैं कि सरकार उनकी योग्यता का उपयोग फील्ड में करें ना की कार्यालय में बाबू गिरी करा के। सूत्रों का कहना है कि युवा डिप्टी कलेक्टर ने सरकार के मुखिया के जिले में पूर्व में पदस्थापना के दौरान बेहतर कामकाज किया था। मुख्यमंत्री ने डिप्टी कलेक्टर के बेहतर परफॉर्मेंस को देखते हुए मंत्रालय में पदस्थ किया है। डिप्टी कलेक्टर अपने कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं और देर शाम तक मंत्रालय में बैठकर फाइलें निपटाते हैं। लेकिन डिप्टी कलेक्टर मंत्रालय में बाबू गिरी के बजाय फील्ड में काम करने की आस लगाए।