भोपाल. BDC News
मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट 22 सितंबर को अंतिम सुनवाई करेगा। इस सुनवाई में 13 प्रतिशत होल्ड पदों पर फैसला सुनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे ‘टॉप ऑफ द बोर्ड’ में लिस्ट किया है, जिसका अर्थ है कि यह सुनवाई के लिए पहले नंबर पर रखा गया है।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष और छत्तीसगढ़ फॉर्मूला
मंगलवार को याचिकाकर्ता की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा। ओबीसी महासभा के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि कोर्ट ने इसे एक महत्वपूर्ण मामला माना है। इससे पहले, याचिकाकर्ताओं के वकील 13 प्रतिशत होल्ड पदों को अनहोल्ड करने और छत्तीसगढ़ के फॉर्मूले को मध्य प्रदेश में लागू करने की मांग कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी है, जिसके आधार पर मध्य प्रदेश सरकार भी वैसी ही राहत चाहती है ताकि भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सके।
आरक्षण पर कानूनी लड़ाई की पृष्ठभूमि
मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण को लेकर कानूनी लड़ाई कई सालों से चल रही है। मार्च 2019 में कमलनाथ सरकार ने आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था, लेकिन मार्च 2020 में हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। अगस्त 2023 में हाई कोर्ट ने 87:13 फॉर्मूला लागू किया, जिसके तहत 87 प्रतिशत पदों पर भर्ती हुई और 13 प्रतिशत पदों को होल्ड पर रखा गया। इस फॉर्मूले को चुनौती देने वाली याचिकाएं 28 जनवरी 2025 को खारिज हो गईं, जिसके बाद 27 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हुआ। वर्तमान में, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सभी की निगाहें 22 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं।l