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ब्रह्मलीन हो गए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी

नरसिंहपुर। पंकज अग्निहोत्री
ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका (Jyotrimath Badrinath and Sharda Peeth Dwarka) के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
ब्रह्मलीन हो गए हैं। 99 साल के शंकराचार्यजी थे। उन्होंने नरसिंहपुर (Narsinghpur of Madhya Pradesh) में दोपहर 3.30 बजे आखिरी सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं में सबसे बड़ा धर्म गुरु माना जाता था। कुछ दिनों पहले ही स्वरूपानंद सरस्वती ने अपना 99वां जन्मदिन मनाया था। उनके निधन पर पीएम नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी शोक व्यक्त किया है।

पीएम ने शाेक जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक जताया है। उन्होंने लिखा, द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी के निधन से अत्यंत दु:ख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!

शंकराचार्य की जीवन यात्रा


शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का गंगा आश्रम नरसिंहपुर जिले के झोतेश्व में है। स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी में 2 सितंबर 1924 को हुआ था। वह 1982 में गुजरात के द्वारिका साधक पीठ और बद्रीनाथ के जो ज्योति मटका संघ के शंकराचार्य बने थे। महज 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती ने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। उन्होंने 15 महीने की जेल में सजा काटी। सरस्वती ने यूपी के वाराणसी में 9 और मध्यप्रदेश में 6 महीने जेल की सजा काटी थी।

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