चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ठ ने तत्काल लगाई रोक
नई दिल्ली. भोपाल डॉट कॉम ब्यूरो
चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट गुरूवार को अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है। असंवैधानिक बताते हुए और सरकार को अन्य विकल्प पर सोचने का कहा है। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले पर एक राय से फैसला सुनाया। हालांकि दो अलग विचार रहे, लेकिन रोक का फैसला सर्व सम्मति से सुनाया गया। कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई बैंक को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है। बता दे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दो नवंबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने मामले में 31 अक्तूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी।
चुनावी बॉन्ड योजना
चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (ए) के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट पाने वाले दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। बॉन्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जा सकता है।