संतनगर की चौपाल …. हर सप्ताह सोमवार को
— अजय तिवारी BDC NEWS
सरकार के ‘श्रेष्ठों’ की कुंडली में राहु—केतू
‘बाबूजी जरा धीरे, बढ़े धोखे है इस राह में.. यह गाना सालों पहले वैसे तो उन सरकार कर्मचारियों के लिए नहीं लिखा गया था, जो अपनी सेवा में धनकुबैर बन जाते हैं, लेकिन संतनगर में सरकार बाबू के यहां मिली अकूत संपत्ति सामने आने के बाद यह गाना गुनगुनाने का मन कर रहा है। सच कहे तो संतनगर में अभी एक बाबूजी सामने आए हैं, बहुत से और भी ‘महान बाबू’ हैं जो करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, जिनके आलीशन मकान और बिल्डरों के काम में पार्टनरशिप चल रही है। शिकायत भी की हैं निपटाने वालों ने। उनकी सेवाकाल की पगार से कई गुना संपत्ति है। कुछ सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं। शिकायत कर निपटाने वालों पर लगाम लगाने के लिए एक शीर्ष संस्था आगे आई थी, उसने शिकायत करने वालों पर कार्रवाई की मांग की थी।
‘संतनगर के अध्यक्ष’ नीचे बैठे थे
संतनगर के एक पार्षद महोदय का नाम निगम अध्यक्ष के मीडिया में चल रह था या चलाया जा रहा था, लेकिन पार्षदों का मन का टटोल के लिए संगठन के बैठक में निगम अध्यक्ष के नाम वाले कई चेहरे मंच पर दिखे, लेकिन वह ‘संतनगर के नाम वाले अध्यक्ष’ नीचे बैठे हुए थे। भाई कौन कहे, वह बी टीम से टिकट पाने में कामयाब रहे। ए टीम ने जो कुछ करना था चुनाव में किया। सबसे कम अंतर से जीतने वाले पार्षद बना दिया। अब वह टीम निगम अध्यक्ष कैसे बन देगी। हम तो यही कहेंगे चलो भाई अभी एमआईसी है उसमें नहीं सहीं तो सालों पुरानी जोन की
चक्रव्यूह मेें संतनगर के कई अभिमन्यु
संतनगर में चक्रव्यूह की रचना हर दिन होती है। कभी कोई अभिमन्यु बनता है तो कभी कोई। चाहे सियासत हो और सेवा की राह दोनों में इन दिनों अलग मिजाज देखने और सुनने को मिल रहा है। ईश्वर करे सियासत में राज नीति हो, सेवा का मैदान पवित्र और पुण्य काम की मिसाल बना रहे। बहुत कुछ संतनगर में ऐसा घटा है और घट रहा है, जो संतनगर की पहचान के लिए ठीक नहीं है। चुनाव में खेत रहे प्रत्याशी भाजपा संगठन से कई दिग्गजों की शिकायत कर आए हैं। एक सीनियर लीडर का कहना है कि भितरघात जहां से हुआ है, उनका नाम जुंबा पर लाने का साहस कोई नहीं कर पाया है न कर पाएगा।
पूर्व प्रत्याशी पद की संख्या बढ़ी
पूर्व प्रत्याशी पद में संख्या बढ़ गई है। संतनगर में भाजपा, कांग्रेस और आजाद उम्मीदवार जो खेत रहे हैं अब उन्होंने अपने नाम के आगे नगर निगम चुनाव के प्रत्याशी लगा लिया है। प्रत्याशी वाला पदनाम विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ था, जब कांग्रेस के उम्मीदवार ने कांग्रेस नेता की जगह हुजूर विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी अपने नाम के आगे लगाना शुरू किया था। अभी तक शिक्षाविद, समाजसेवी, प्रबुद्धजन जैसे विभूषण नामों के आगे लगाने की प्रथा थी और कोई भी यह विभूषण अपने नाम के आगे लगा लेता है।