सिकल सेल से पीड़ित बच्चों की जान बचा लेंगे तो जीवन हो जाएगा सफल
हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और प्रबंधन पर बीएमएचआरसी में दो दिवसीय नैदानिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन…. हर सिविल अस्पताल व बड़े अस्पतालों में एक अलग सिकल सेल वार्ड हो, सर्वेक्षण, जांच, जेनेटिक काउंसलिंग को व्यापकता प्रदान करनी होगी….राज्यपाल ने कहा हीमोग्लोबिनोपैथी के बारे में स्कूल, कॉलेजों के शिक्षकों और आंनवाड़ी में कार्यरत कर्मचारियों में संवेदना जागृत करने की ज़रूरत है
भोपाल. भोपाल डॉट कॉम
भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में ‘हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और प्रबंधन’ पर दो दिवसीय नैदानिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने मंगलवार को कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने इसी विषय पर तैयार की गई स्मारिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की सलाहकार विनीता श्रीवास्तव, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में वैज्ञानिक डॉ गीता जोतवानी व बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव उपस्थित थीं।
कार्यशाला में हीमोग्लोबिनोपैथी से संबंधित बीमारियों थैलीसीमिया व सिकल सेल एनीमिया के रोकथाम व प्रबंधन के लिए कार्य कर रहे शासकीय व अशासकीय क्षेत्र के कर्मचारियों को इन बीमारियों की रोकथाम व प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। देशभर में मौजूद हीमोग्लोबिनोपैथी के विशेषज्ञ उनको इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सिकल सेल की रोकथाम मेरी रुचि का विषय है। ऐसे में अगर कोई इस कार्य को आगे बढ़ाते हैं, तो मुझे बहुत हौसला मिलता है। उन्होंने कहा कि यह बीमारी जनजातीय समुदाय के लोगों में ज्यादा पाई जाती है। पूरे विश्व में जनजातीय समुदाय के 95 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार मप्र में करीब 1 करोड़ 54 लाख लोग इस समुदाय के हैं। ऐसे में हम इस चिन्हित समुदाय के बीच जांच को बढ़ाना होगा। श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकल सेल की रोकथाम और इसे खत्म करने का काम बहुत बड़ा है। मैंने सरकार से कहा है कि हर सिविल अस्पताल व बड़े अस्पतालों में एक अलग सिकल सेल वार्ड होना चाहिए, ताकि इस बीमारी से पीड़ित मरीज का वहीं इलाज हो सके। अगर जल्दी इलाज मिलेगा तो पीड़ितों को इससे राहत मिलेगी और अगर हमने इस बीमारी से पीड़ित 40—50 बच्चों की जिंदगी बचा ली तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने बजट में इस बीमारी के उन्मूलन के 15 हजार करोड रुपये के बजट का प्रावधान किया है। मप्र सरकार ने भी सिकल सेल के पीड़ितों को कार्ड देना शुरू किया है। ऐसे 12 हजार कार्ड बांटे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मेरा अनुभव है कि गरीब और दूरस्थ अंचल के जनजातीय लोगों का चिकित्सा केंद्रों तक पहुंचना कठिन है। इसे लिए हमें इस चिन्हित समुदाय तक विज्ञान को पहुंचाना होगा। सर्वेक्षण, जांच, जेनेटिक काउंसलिंग को व्यापकता प्रदान करनी होगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों तक रेफरल प्रणाली को प्रभावी बनाना होगा। हमें गरीब बस्तियों तक दूरस्थ अंचलों में चिकित्सा शिविर का आयोजन करना होगा। हीमोग्लोबिनोपैथी के बारे में स्कूल, कॉलेजों के शिक्षकों और आंनवाड़ी में कार्यरत कर्मचारियों में संवेदना जागृत करने की ज़रूरत है। सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि आदिवासी आबादी वाले पांच गांव तय करें और वहां सभी की सिकल सेल की जांच करवाएं। विश्वविद्यालय यह काम कर भी रहे हैं।
अवेयरनेस मॉड्यूल तैयार किया
भारत सरकार की जनजातीय कार्य मंत्रालय की सलाहकार विनीता श्रीवास्तव ने बताया कि हम लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए अवेयरनेस मॉड्यूल तैयार किया गया है और पूरे समुदाय को साथ लेकर काम कर रहे हैं। मंत्रालय ने बीमारी के पूरी तरह उन्मूलन के लिए जीन एडिटिंग पर काम करना शुरू कर दिया है और जीन एडिटिंग लैब शुरू भी हो गई है। सिकल सेल की रोकथाम व इलाज के लिए एक अलग सेंटर बनाने पर भी काम चल रहा है।
महाराष्ट्र में एक अलग केंद्र है
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की वैज्ञानिक डॉ गीता जोतवानी ने बताया कि आईसीएमआर बीते कई वर्षों से हीमोग्लोबिनोपैथी के विषय पर काम कर रहा है। महाराष्ट्र के चंद्रपुर में इसके एक अलग केंद्र स्थापित है। यहां प्रभावित क्षेत्रों में हीमोग्लोबिनोपैथी के बारे में जागरूकता, जांच व रोकथाम के लिए कार्य किया जा रहा है। आईसीएमआर इन बीमारियों की रोकथाम के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने पर जोर दे रहा है। अधिक से अधिक डॉक्टर और आशा कार्यकर्ताओं को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है। भविष्य में ऐसी और कार्यशाला आयोजित की जाएंगी।
तीन हजार कर्मचारी प्रशिक्षित किए
बीएमएचआरसी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने कार्यशाला राज्यपाल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कार्यशाला के आयोजन की स्वीकृति देने व सहयोग देने के लिए आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ राजीव बहल को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि हमने सिकल सेल की जांच के लिए बीएमएचआरसी में एक एडवांस मॉलिक्युलर लैब तैयार करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है। संस्थान के रक्ताधान चिकित्सा विभाग द्वारा अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों के ब्लड बैंक में कार्यरत करीब 3000 से कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इस कार्यशाला में प्रदेश के दूरदराज के जिलों में काम कर रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी प्रशिक्षण प्राप्त करने आए हैं।
चार महीने में मरते देखा था बच्चे को
राज्यपाल ने बताया कि करीब 45 साल पहले जब मैं गुजरात में नगर पालिका का सदस्य था, तब सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित एक बच्चे को लेकर मुंबई गया। इस बच्चे का बड़ा माथा था। पेट बड़ा था और हाथ पैर एकदम टेढे थे। डॉक्टर ने मुझे बताया कि अगर इस बच्चे को जिंदा रखना चाहते हो तो इसके साथ खूब हंसी मजाक करो, इसे अच्छा भोजन कराओ। उस बच्चे की चार महीने में मौत हो गई। मैंने ऐसे कई बच्चों को अपनी आंखों के सामने मरते हुए देखा है। तभी सेमेरे मन में सिकल सेल के पीड़ितों के प्रति संवेदना जागृत हुई।