भूमिका. BDC News
यह यात्रा प्लान आपको दुनिया के सबसे पुराने शैल चित्रों (Cave Paintings) से लेकर मध्यकाल के विशालतम शिवलिंग के दर्शन कराएगा।
भोजपुर: अद्वितीय ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वैभव
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर बेतवा नदी के तट पर स्थित भोजपुर अपने अद्वितीय ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वैभव के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का मुख्य आकर्षण भोजेश्वर महादेव मंदिर है, जिसे 11वीं शताब्दी में महान परमार राजा भोज द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर को ‘उत्तर भारत का सोमनाथ’ भी कहा जाता है और यहाँ एक ही पत्थर से निर्मित लगभग 18 फीट ऊँचा विशाल शिवलिंग स्थापित है, जो भारत के सबसे ऊँचे और विशाल अखंड शिवलिंगों में से एक है। यद्यपि यह मंदिर निर्माण की दृष्टि से अधूरा है, लेकिन इसके विशाल पाषाण खंड, पत्थरों पर खुदे प्राचीन वास्तुशिल्प के नक्शे और बेतवा नदी का मनोरम तट इसे इतिहास प्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अनिवार्य गंतव्य बनाते हैं।
सुबह 08:30 बजे: प्रस्थान (भोपाल से)
अपनी यात्रा की शुरुआत सुबह जल्दी करें ताकि आप धूप तेज होने से पहले पहले गंतव्य पर पहुँच सकें। भोपाल से भोजपुर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।
सुबह 09:30 – 11:30 बजे: भोजपुर मंदिर (Bhojpur Temple)
- मुख्य आकर्षण: इसे ‘उत्तर भारत का सोमनाथ’ कहा जाता है। यहाँ का भोजेश्वर मंदिर राजा भोज द्वारा निर्मित है। यहाँ एक ही पत्थर से बना 18 फीट ऊँचा विशाल शिवलिंग है।
- क्या देखें: मंदिर की अधूरी लेकिन अद्भुत वास्तुकला, दीवारों पर उकेरे गए प्राचीन नक्शे और बेतवा नदी का सुंदर नजारा।
भीम बैठिका: भारत के महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में एक
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका (या भीम बैठिका) भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक है, जिसे इसकी अद्वितीय ऐतिहासिक महत्ता के कारण यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है। विंध्याचल की पहाड़ियों के बीच स्थित ये रॉक शेल्टर आदिमानव के अस्तित्व के जीवंत प्रमाण हैं, जहाँ लगभग 30,000 साल पुराने शैल चित्र (Cave Paintings) आज भी अपनी मूल अवस्था में सुरक्षित हैं। इन चित्रों में हमारे पूर्वजों के दैनिक जीवन, सामूहिक नृत्य, शिकार के दृश्यों, युद्धों और विभिन्न जानवरों को प्राकृतिक रंगों (लाल और सफेद) के माध्यम से बड़ी कुशलता से उकेरा गया है। यह स्थल न केवल मानव सभ्यता के क्रमिक विकास की कहानी सुनाता है, बल्कि पाषाण काल (Stone Age) की कलात्मकता और प्रकृति के साथ मनुष्य के आदिम संबंधों का एक अद्भुत झरोखा भी प्रदान करता है।
दोपहर 12:00 – 02:30 बजे: भीमबेटका रॉक शेल्टर (Bhimbetka Caves)
भोजपुर से भीमबेटका लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
- मुख्य आकर्षण: यह यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर स्थल है। यहाँ की गुफाओं में 30,000 साल पुराने शैल चित्र हैं, जो आदिमानव के जीवन (शिकार, नृत्य, घुड़सवारी) को दर्शाते हैं।
- जरूरी बात: यहाँ पैदल चलना पड़ता है, इसलिए आरामदायक जूते पहनें।
दोपहर 02:30 – 03:30 बजे: लंच ब्रेक
भीमबेटका के पास स्थित एम.पी. टूरिज्म के ‘हाइवे ट्रीट’ (Highway Treat) या आसपास के स्थानीय ढाबों पर आप लंच कर सकते हैं। यहाँ का देसी खाना आपकी थकान मिटा देगा।
शाम 04:00 – 05:30 बजे: वापसी और केरवा डैम (वैकल्पिक)
भोपाल लौटते समय आप केरवा डैम या कलियासोत डैम की ओर रुख कर सकते हैं।
- गतिविधि: यहाँ आप शाम की चाय के साथ सूर्यास्त (Sunset) का आनंद ले सकते हैं। अगर आपको एडवेंचर पसंद है, तो केरवा पर जिपलाइनिंग का लुत्फ उठाएं।
शाम 07:00 बजे: भोपाल वापसी
दिन भर की सुनहरी यादों के साथ वापस शहर लौटें।
यात्रा के लिए जरूरी सुझाव:
- स्वयं का वाहन: इस ट्रिप के लिए अपनी कार या टैक्सी सबसे सुविधाजनक है।
- गाइड: भीमबेटका के चित्रों का इतिहास समझने के लिए स्थानीय गाइड की मदद जरूर लें।
- पानी और स्नैक्स: रास्ते में हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी साथ रखें।