रीवा. BDC News
मध्य प्रदेश का एकमात्र सफेद बाघ सफारी, मुकुंदपुर, अब एक बड़े राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। सतना जिले की मैहर तहसील में स्थित मुकुंदपुर को रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। विवाद तब शुरू हुआ जब मैहर के अतिरिक्त कलेक्टर का एक पत्र वायरल हुआ, जिसमें मुकुंदपुर, धौबाहट, अमीन, परसिया, आनंदगढ़ और पापरा जैसे छह गांवों को रीवा में मिलाने के लिए हितधारकों की राय मांगी गई थी।
विवाद की पृष्ठभूमि:
मुकुंदपुर में ही “महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव सफेद बाघ सफारी और चिड़ियाघर” स्थित है, जिसे 2016 में स्थापित किया गया था। इस सफारी का नाम रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1951 में सफेद बाघ को पकड़ा था और उसे सफेद बाघों की वंश परंपरा की शुरुआत माना जाता है। अब इस क्षेत्र को रीवा में शामिल करने के प्रस्ताव ने दोनों जिलों के नेताओं में तनाव पैदा कर दिया है।
भाजपा में अंदरूनी विरोध
इस प्रस्ताव पर भाजपा के अंदर भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। सतना से पांच बार सांसद रहे गणेश सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर इस कदम का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने इसे रीवा को अनुचित लाभ पहुँचाने की “साजिश” बताया है। इसी तरह, मैहर के पूर्व विधायक और विंध्य जनता पार्टी के संस्थापक नारायण त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला पर “मुकुंदपुर को हथियाने” का गंभीर आरोप लगाया है।
कांग्रेस की आंदोलन की चेतावनी
विपक्षी कांग्रेस के नेता भी इस मुद्दे पर मुखर हैं। कांग्रेस विधायक और पूर्व डिप्टी स्पीकर राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि इस प्रस्ताव का मकसद सफारी के पूरे क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में लेना है। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि अगर यह प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया तो वे गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेंगे और “मैहर जेल भरो” अभियान के तहत 1,000 सत्याग्रहियों के साथ जेल जाएंगे।
डिप्टी सीएम की सफाई
इस राजनीतिक घमासान के बीच, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि “कुछ कांग्रेस नेताओं ने निराधार आरोप लगाए हैं, जिनका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।” उन्होंने यह भी साफ किया कि जिले की सीमाओं का निर्धारण राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा किया जाता है और इस मामले में न तो उनसे कोई राय मांगी गई है और न ही उन्होंने ऐसी कोई मांग की है।