धर्म

पितृपक्ष: यह खाया तो बुजुर्ग खुश नहीं होंगे आपसे

गुरूदेव तिवारी
कड़वे दिन यानी बुजुर्गों के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने का पखवाड़ा। इस बार 10 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है, जो 25 सितंबर तक चलेगा। तर्पण और श्रद्धा का अपना विधान है, कुछ नियम भी है- जिनका पालन करना जरूरी होता है। उनका पालन न करने पर विधान का संकल्प पूरा नहीं होता। चलिए हम बताते हैं आपको क्या करना है… क्या नहीं खाना है What not to eat in Pitru Paksha

यह नहीं खाएं भूलकर भी

  • ,पितृ पक्ष में जमीन के नीचे होने वाली सब्जियां और फल खाना वर्जित है, जैसे मूली, अरबी, आलू, ओल व अन्य सब्जियां आती हैं। पितृपक्ष में इन सब्जियों का भोग भी नहीं लगाते।
  • सात्विक भोजन तर्पण करने वाले को करना चाहिए। तामसिक भोजन प्रतिबंधित है। लहसुन और प्याज सेवन नहीं करना चाहिए।
  • पितृपक्ष में अंडे, मांसाहार वर्जित है। नशा यानी शराब, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू से भी दूरी बनाना चाहिए।
  • तर्पण करने वालों के लिए चने का सेवन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध में चना और उससे बनने वाली हर चीज परोसना ठीक नहीं है।
  • मसूर की दाल कर भी सेवननहीं करना चाहिए। कच्चे अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। पकाकर ही अनाज का सेवन करें।

किस दिन किसका श्राद्ध

10 सितंबर- पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध 10 सितंबर को होगा, इस दिन उन सबका श्राद्ध होगा। जिनका स्वर्गवास पूर्णिमा को हुआ हो। 

11 सितंबर- प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध 11 सितम्बर को होगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो।  

12 सितंबर- द्वितीया तिथि का श्राद्ध तिथि के समयानुसार 11 सितम्बर को हाेगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हुआ हो।

13 सितंबर- तृतीया तिथि का श्राद्ध 12 सितम्बर को होगा। इस दिन उन लोगों को श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ हो। 

14 सितंबर- चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 13 सितम्बर को होगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ हो।

15 सितंबर- पंचमी तिथि का श्राद्ध 14 सितम्बर को किया जायेगा । इस दिन उनका श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ हो । अविवाहित हाेने वाले दिवंतों का श्राद्ध भी इसी दिन होगा।

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16 सितंबर- षष्ठी तिथि का श्राद्ध 15 सितम्बर को किया जायेगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को हुआ हो।

17 सितंबर- सप्तमी तिथि का श्राद्ध तिथि के समयानुसार 16, 17 सितम्बर को किया जायेगा। इस दिन उन लोगों को श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ हो। 

18 सितंबर- अष्टमी तिथि का श्राद्ध 18 सितम्बर को किया जायेगा। अष्टमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ हो। 

19 सितंबर- नवमी तिथि का श्राद्ध 19 सितम्बर को किया जायेगा। नवमी तिथि को उनका श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ हो।

20 सितंबर- दशमी तिथि का श्राद्ध 20 सितम्बर को किया जायेगा। दशमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ हो। 

21 सितंबर- एकादशी तिथि का श्राद्ध 21 सितम्बर को किया जायेगा। उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की एकादशी को हुआ हो।

22 सितंबर- द्वादशी तिथि का श्राद्ध 22 सितम्बर को किया जायेगा। द्वादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष पक्ष की द्वादशी को हुआ हो।

23 सितंबर- त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध 23 सितंबर को किया जायेगा । त्रयोदशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ हो।

24 सितंबर- चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध 24 सितंबर को किया जायेगा। चतुर्दशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हुआ हो।

25 सितंबर- अमावस्या तिथि का श्राद्ध 25 सितम्बर को किया जायेगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की अमावस्या को हुआ हो।

Disclaimer: यह जानकारी पुरानी मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते।

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