धर्म

जगन्नाथ रथ यात्रा की पौराणिक कथा: कैसे शुरू हुई यह दिव्य परंपरा?

पुरी रथ यात्रा का इतिहास और भगवान जगन्नाथ की दिव्य लीला की कहानी


जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की तिथि और धार्मिक पृष्ठभूमि

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 इस वर्ष 6 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। यह यात्रा हर साल ओडिशा के पुरी शहर में आयोजित होती है और इसे हिंदू धर्म की प्रमुख यात्राओं में से एक माना जाता है। रथ यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं।


पुरी रथ यात्रा की पौराणिक कथा

पुरी रथ यात्रा की कथा अत्यंत प्राचीन और भावपूर्ण है। यह कथा बताती है कि भगवान जगन्नाथ भगवान की कहानी केवल मंदिरों में सीमित नहीं, बल्कि भक्तों के जीवन से जुड़ी हुई है।

एक बार भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा ने द्वारका से वृंदावन जाने की योजना बनाई। भगवान के रथ यात्रा का उद्देश्य था अपने भक्तों के बीच जाकर उनसे प्रत्यक्ष संपर्क करना। यही रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है इसका पहला कारण बताया जाता है।


राजा इंद्रद्यम्न और प्रतिमा निर्माण की अद्भुत कथा

पुरी रथ यात्रा का इतिहास जुड़ा है राजा इंद्रद्यम्न से, जो भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उन्हें स्वप्न में आदेश मिला कि वे नीम की लकड़ी से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा बनवाएं। उन्होंने विश्वकर्मा को मूर्ति निर्माण का कार्य सौंपा।

विश्वकर्मा जी ने शर्त रखी कि जब तक मूर्ति निर्माण पूर्ण न हो, कोई उन्हें न देखे। परंतु राजा की अधीरता के कारण द्वार खुल गया और मूर्तियाँ अधूरी रह गईं — बड़ी आंखें और अधूरे हाथ। तभी आकाशवाणी हुई कि यही भगवान के दिव्य रूप हैं और इन्हीं को स्थापित किया जाए। यही आज जगन्नाथ मंदिर की प्रतिमाएं हैं।


गुंडिचा यात्रा और रथ खींचने की परंपरा

गुंडिचा यात्रा कथा के अनुसार, भगवान रथ पर सवार होकर 3 किमी दूर स्थित गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह मंदिर मां यशोदा का मायका माना जाता है। वहां 9 दिन रुककर पुनः अपने निवास स्थान लौटते हैं।

रथ खींचने का पुण्य अत्यंत महत्व रखता है। मान्यता है कि:

  • रथ की रस्सी को छूना भी मोक्ष का मार्ग है
  • रथ खींचने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं
  • यह सेवा समर्पण और भक्ति का सर्वोच्च रूप है

📺 पुरी रथ यात्रा 2025 में कैसे शामिल हों?

जो लोग पुरी नहीं जा सकते, वे रथ यात्रा 2025 लाइव दर्शन टीवी चैनलों या यूट्यूब पर देख सकते हैं। कई भक्त इस यात्रा को देखने मात्र से पुण्य प्राप्त करने का अनुभव करते हैं।


📌 निष्कर्ष: रथ यात्रा केवल आयोजन नहीं, एक आत्मिक यात्रा है

जगन्नाथ रथ यात्रा की पौराणिक कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान जगन्नाथ केवल पुरी के मंदिर तक सीमित नहीं हैं – वे हर श्रद्धालु के मन में रहते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 एक ऐसा अवसर है जब हम अपने जीवन से पाप, मोह और अहंकार को निकालकर श्रद्धा और सेवा से जुड़ सकते हैं।

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