इस खबर पर मेरा नजरिया:
भारत के लिए यह खबर एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है और खासकर गरीब तथा दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी बोझ डालती है। एक स्वदेशी और प्रभावी टीके का विकास न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी वैज्ञानिक क्षमताओं का भी प्रमाण है। ‘एडफाल्सीवैक्स’ का दोहरा असर इसे मौजूदा टीकों से अधिक प्रभावी बनाता है, जिससे संक्रमण और उसके प्रसार दोनों को नियंत्रित किया जा सकेगा। यदि यह टीका व्यापक रूप से उपलब्ध और किफायती हो जाता है, तो यह भारत को मलेरिया मुक्त बनाने के लक्ष्य के करीब लाएगा। यह पहल वैश्विक मलेरिया उन्मूलन प्रयासों में भी भारत की भूमिका को मजबूत करेगी। इस टीके का सफल विकास भारत के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है, जो वास्तव में सराहनीय है।
अब खबर…
नई दिल्ली: BDC NEWS
भारत ने मलेरिया के खिलाफ एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। देश की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन अब पूरी तरह से तैयार है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा विकसित इस वैक्सीन का नाम ‘एडफाल्सीवैक्स’ रखा गया है। यह टीका न केवल मलेरिया संक्रमण को रोकने में सक्षम है, बल्कि समुदाय में इसके प्रसार पर भी रोक लगाएगा। ICMR ने इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निजी कंपनियों के साथ साझेदारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि इसे जल्द से जल्द आम जनता तक पहुँचाया जा सके।
यह वैक्सीन आने वाले समय में लाखों लोगों की जान बचाने में मददगार साबित होगी, खासकर उन इलाकों में जहाँ मलेरिया अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। ICMR ने बताया कि ‘एडफाल्सीवैक्स’ मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है। इसे ICMR और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (RMRC) के शोधकर्ताओं ने मिलकर तैयार किया है।
मौजूदा टीकों से बेहतर और दोहरा असर
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने जानकारी दी कि वर्तमान में मलेरिया के दो टीके उपलब्ध हैं जिनकी कीमत लगभग 800 रुपये प्रति खुराक तक है, लेकिन उनकी प्रभावशीलता 33 से 67 प्रतिशत के बीच है। वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुमोदित आरटीएस (RTS,S) और आर21/मैट्रिक्स-एम (R21/Matrix-M) टीके भी दुनिया के कुछ देशों में उपयोग किए जा रहे हैं। इनकी तुलना में, भारत का यह स्वदेशी टीका दोहरा असर दिखाता है। यह ‘पूर्व रक्ताणु’ (रक्त में पहुंचने से पहले के चरण) और ‘ट्रांसमिशन-ब्लॉकिंग’ (संक्रमण के प्रसार को रोकने) दोनों में प्रभावी है।
अध्ययन में बेहद असरदार साबित
मलेरिया के इस स्वदेशी टीके पर अभी तक ‘पूर्व-नैदानिक सत्यापन’ (Pre-clinical validation) हुआ है, जिसे ICMR के नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान (NMRI) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) के साथ मिलकर पूरा किया गया है। RMRC के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील सिंह ने बताया कि यह टीका संक्रमण को रोकने वाले मजबूत एंटीबॉडी बनाता है। उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में वैश्विक स्तर पर मलेरिया के अनुमानित 26 करोड़ मामले दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में एक करोड़ मामलों की वृद्धि दर्शाते हैं।
देश के प्रमुख मलेरिया प्रभावित राज्य:
भारत में मलेरिया अब भी कुछ राज्यों में एक बड़ी चुनौती है:
- मध्य प्रदेश: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में मलेरिया के मामले अधिक हैं।
- छत्तीसगढ़: यह राज्य देश में मलेरिया के मामलों में शीर्ष पर है, विशेषकर घनी वनस्पति और आदिवासी क्षेत्रों में।
- ओडिशा: आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मलेरिया की उच्च संख्या बनी हुई है, हालांकि राज्य सरकार ‘मलेरिया मुक्त अभियान’ चला रही है।
- झारखंड: दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच और जागरूकता की कमी के कारण मलेरिया के मामले अधिक हैं।
- गुजरात: राज्य में मलेरिया के मामले सामने आते रहे हैं, हालांकि नियंत्रण के प्रयास जारी हैं।