गांधी सागर अभयारण्य में चीतों का पुनर्वास: एक ऐतिहासिक कदम

प्रतीकात्मक फोटो:सोशल मीडिया

भोपाल. BDC NEWS

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को छोड़े जाने की घटना को भारत के वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया है, यादव ने कहा, देश में चीतों की आबादी को फिर से स्थापित करने के प्रयासों में एक नई उपलब्धि का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण:

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को बसाना मध्य प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने “चीता प्रोजेक्ट” को राज्य की एक महत्वाकांक्षी परियोजना बताया, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को बचाना है। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना में मिल रही सफलता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि गांधी सागर अभयारण्य चीतों को बसाने के लिए राज्य का दूसरा स्थान बन गया है।

वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा:

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस बात पर जोर दिया कि चीतों का पुनर्वास वन्यजीव पर्यटन के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि यह अभयारण्य प्रदेश के उज्जैन संभाग में मंदसौर और नीमच जिलों में फैला हुआ है। मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व का भी उल्लेख किया, बताते हुए कि कई सौ साल पहले इस क्षेत्र में चीते पाए जाते थे। इन शानदार प्राणियों का फिर से आगमन निश्चित रूप से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगा।

चीता पुनर्वास में सफलता:

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने चीतों की आबादी बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका, केन्या और बोत्सवाना जैसे देशों से चीतों को लाकर मध्य प्रदेश के जंगलों में बसाया जा रहा है। वर्तमान में, श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में 26 चीते हैं। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना की सफलता पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया के अन्य देशों में चीता पुनर्स्थापन के प्रयास उतने सफल नहीं रहे हैं। भारत में, चीतों का अस्तित्व दर अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक है। मध्य प्रदेश के वन और वातावरण चीतों के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं, और कूनो के बाद, गांधी सागर भी उनका घर बन रहा है।

गांधी सागर अभयारण्य का महत्व:

गांधी सागर अभयारण्य पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्य है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अभयारण्य की भौगोलिक विशेषताओं और समृद्ध इतिहास का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि यह अभयारण्य प्रदेश के उज्जैन संभाग में मंदसौर और नीमच जिले में फैला हुआ है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गांधी सागर अभयारण्य शैल चित्रों के लिए विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज नाला का भी हिस्सा है।

विरासत का संरक्षण:

अंत में, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास पर मध्य प्रदेश सरकार के ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।

भोपाल डॉट कॉम, ब्यूरो

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