एम्स भोपाल में ऐतिहासिक हृदय सर्जरी: बिना चीरा, बिना बेहोशी के बदला गया हृदय वाल्व
भोपाल. विशेष संवाददाता BDC NEWS
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), भोपाल की सफलता में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। मध्यप्रदेश में एम्स पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां मरीज को बेहोश किए बिना कृत्रिम हृदय वॉल्व उसके हृदय तक पहुंचाया गया है। ऐसा करते हुए न तो चीरा लगाया गया है, ना ही मरीज को बेहोश किया गया। बिना एनेस्थीसिया दिए शल्य चिकित्सा की गई।
एम्स भोपाल में मध्य प्रदेश में पहली बार ट्रांसकैथेटर एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन (टीएवीआई) हुआ है।
ओपन हार्ट सर्जरी का विकल्प
एम्स के चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि जो लोग हार्ड संबंधित बीमारियों से पीड़ित है उनके लिए उनके लिए यह प्रक्रिया बहुत ही लाभदायक है। यह शल्य चिकित्सा उन्नत हृदय देखभाल सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम है। टीएवीआई हृदय वॉल्व प्रतिस्थापन ऐसी तकनीक है, जो उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए ओपन हार्ट सर्जरी का बेहतर विकल्प है।
कैसे होती है शल्य क्रिया
इस प्रक्रिया में पैर की धमनी के माध्यम से कृत्रिम हृदय वाल्व को हृदय तक पहुंचाया जाता है और इसे प्रभावित वाल्य की जगह प्रत्यारोपित किया जाता है। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया के दौरान चीरा लगाने, सामान्य एनेस्थीसिया देने या वेंटिलेटर का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है, यही कारण है कि मरीज की जल्दी रिकवरी होने लगती है। जल्दी स्वस्थ होने के कारण मरीज को अस्पताल से जल्दी ही छुट्टी मिल जाती है।
डॉ. भूषण शाह, कार्डियोलॉजिस्ट एम्स
यह थी डॉक्टरों की टीम
डॉ. अजय सिंह, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह, डॉ. सुदेश प्रजापति, डॉ. आशीष जैन कार्डियोथोरेसिक, वैस्कुलर सर्जन डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. विक्रम वट्टी, एनेस्थीसिया टीम के डॉ. वैशाली वेडेसकर, डॉ. हरीश कुमार, डॉ. एसआरएएन भूषणम, कैथ लैब तकनीशियन और नर्सिंग स्टाफ.