मेरी कलम

डगमगाती सियासी आस्थाओं का दौर.. पचौरी यूं ही नहीं गए भाजपा में

अजय तिवारी. भोपाल डॉट कॉम
चुनाव से पहले राजनीतिक आस्थाओं का डगमगाना नई बात नहीं है। ताकतवर सियासी दल में खड़ा होना राजनीतिक समझदारी है। किसी ने क्या खूब कहा है- राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुमन नहीं होता। मौके का फायदा उठाने में ही समझदारी होती है। दशकों तक कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े लोग भाजपाई होने कुछ भी कहीं, लेकिन विचारधारा से हटना मौका परस्ती है। वैसे तो यूं इस समय देशभर में भाजपा के साथ खड़े होने का दौर चल रहा है। बात मध्यप्रदेश की करेंगे। कभी कांग्रेस में पचौरी गुट लेकर चलने वाले सुरेश पचौरी अब भारतीय जनता पार्टी के हो गए हैं। कहा-राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ठुकराने से आहत थे।
सच तो यह है कि पचौरी का दर्द राज्यसभा चुनाव में दरकिनार करना है। प्रदेश से राज्यसभा की चार सीटों को भरा जाना था, कांग्रेस के खाते में एक सीट आनी थी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने समर्थक अशोक सिंह को आगे किया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव जैसे नामों को साइट लाइन कर अशोक सिंह को सांसद बनवा दिया गया। कहा जा रहा है पचौरी के बाद दिग्विजय सिंह से नाराज कई नेता भाजपा में जाएंगे।
प्रदेश की कांग्रेस की राजनीति में सुरेश पचौरी बड़ा नाम थे। अचानक उनके भाजपा में जाने से सियासी सवाल उठना लाजमी है। वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी का कहना है सुरेश पचौरी मध्य प्रदेश की राजनीति में चार दशक से सक्रिय चेहरा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस में एक मजबूत गुट है। कांग्रेस से जाने के बाद यह गुट अब भाजपा में जाना तय है। कांग्रेस के लिए मंथन का समय है। कुछ दिनों पहले कमलनाथ जैसे नेता की भाजपा में जाने की अटकलें सुर्खियों में रहीं। भले कमलनाथ ने अटकलों को मीडिया की देन कहा हो, लेकिन कुछ नहीं बहुत कुछ था।
पॉलीटिक्ल जर्नलिस्ट आशीष चौधरी का कहना है कांग्रेस में एक गुट ऐसा काम कर रहा है जो कुछ नेताओं की उपेक्षा कर रहा है, नाराज नेताओं संवाद नहीं कर रहा है, पार्टी में काम नहीं दे रहा है। यह कांग्रेस में रहकर कांग्रेस को कमजोर करने वाला कृत्य है।
पचौरी के बारे में
सुरेश पचौरी 1980 से लेकर 2018 तक प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक रहे हैं। राजीव गांधी के समय वे बेहद ताकतवर थे। वे पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा उत्पादन का राज्यमंत्री बनाए गए। बाद वे मनमोहन सिंह की कैबिनेट कार्मिक और संसदीय कार्य राज्यमंत्री बनाया गया था। 50 वर्ष के राजनीतिक सफर में वे भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव रहे। कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वे मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। चार बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
पचौरी की सियासी पौध… प्रदेश में कांग्रेस को कई नेता पचौरी ने दिए, जिनमें प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति, पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधो, विधायक आरिफ मसूद, पूर्व विधायक शंशाक भार्गव, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी,महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा व कई नाम हैं।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, बीते पांच सालों में कांग्रेस से जो भी भाजपा में गए हैं। छह सात नेताओं को छोड़ दिया जाए तो वह भीड़ का हिस्सा बने हैं। शुभकामनाएं देता हूं पचौरी दी भीड़ का हिस्सा न बने। भाजपा में गए हैं, कांग्रेस की तरह भाजपा में चेहरा बने।

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