पुस्तकालयों को उन्नत बनाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

पुस्तकालयों को उन्नत बनाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

जीवन विकास का मुख्य आधार शिक्षा और उस शिक्षा की मुख्य आधारशिला पुस्तकालय होते है, शिक्षा को सक्षम बनाने में विकसित पुस्तकालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। विश्वभर में पुस्तकालयों ने बेहतर विकास किया है, अब ई-पुस्तकें और सभी प्रकार के ई-साहित्य इंटरनेट के द्वारा हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाते है। डिजिटल व वर्चुअल पुस्तकालयों की मांग लगातार बढ़ रही है। हमारे देश के अनेक उच्च शिक्षा संस्थान, महंगे निजी शिक्षा संस्थान भी पुस्तकालयों को बेहतर ढंग से विकसित कर पाठकों को सर्वश्रेष्ठ सेवा उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है। सरकार भी शिक्षा और पुस्तकालयों के विकास के लिए सहायता कर रही है, फिर भी जनसंख्या और आवश्यकतानुरूप उन्नत पुस्तकालयों के मामले में हम काफी पिछड़े हुए है। आज के आधुनिक युग में तकनीकी रूप से बेहद नवीनतम संसाधनों का उपयोग पुस्तकालयों में किया जा रहा है, ताकि पाठकों को बेहतर सुविधाओं का लाभ कम समय में सहज मिल सकें। अभी एआई क्रांति शुरू हुई है, जिसने पुस्तकालयों को भी प्रभावित किया है, अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग पुस्तकालयों को उन्नत बनाने में हो रहा है।

देश में पुस्तकालय विज्ञान क्षेत्र के पितामह कहलानेवाले पद्मश्री डॉ. एस आर रंगनाथनजी की जयंती 12 अगस्त को “राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस” के रूप में मनाई जाती है। पुस्तकालयों का बेहतर विकास, सेवासुविधा और प्रत्येक पाठक और पुस्तक तक सहज पहुंच पुस्तकालय के न्यायसंगत नीति का निर्धार है। पद्मश्री डॉ. एस. आर. रंगनाथनजी द्वारा दिए गए पुस्तकालय विज्ञान के पाँच नियमों का कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा बेहतर ढंग से पालन किया जा सकता है। पुस्तकें उपयोग के लिए होती हैं, प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक मिलनी चाहिए, प्रत्येक पुस्तक को पाठक मिलना चाहिए, पाठकों का समय बचना चाहिए और पुस्तकालय एक विकासशील संस्था है। ये नियम पुस्तकालयों की सुलभता, उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं और उनके विकासशील स्वरूप के महत्व पर ज़ोर देते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता इन पाँच नियमों का बखूबी पालन कर सकती है।

आज के सूचना युग में हर पल डेटा का ज्ञानरूपी विस्फोट हो रहा है, उस ज्ञान का अत्यल्प समय में योग्य पाठक तक पहुंचना बेहद आवश्यक होता है, इसलिए अब तकनिकी संसाधनों पर निर्भरता बढ़ गयी है। बहुत से क्षेत्रों में अब एआई का उपयोग बेहद प्रभावशाली ढंग से किया जा रहा है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सूचना क्षेत्र में बदलाव ला रही है और पुस्तकालयाध्यक्षों के पारंपरिक कार्य को नया रूप दे रही है। शैक्षणिक और शोध पुस्तकालय अपनी सेवाओं और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों को अपना रहे है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता इसका मुख्य साधन है। पाठकों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सक्रिय नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनाना होगा। यह उन्नत तकनीक पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए नए मार्ग खोलेगी। नए नवोन्मेषी पदों और भूमिकाओं को संभालने, वर्तमान चुनौतियों का समाधान करने और उन्हें अप्रचलित होने से बचाने में मदद करेगी।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरण पाठकों के लिए योग्य पुस्तकें, लेख और अन्य साहित्य सामग्री तेज़ी से ढूँढ़ना आसान बनाते हैं। मशीन लर्निंग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमताएँ शैक्षणिक पुस्तकालयों में व्यक्तिगत शिक्षण अनुभवों के द्वार खोलती हैं। उपयोगकर्ताओं के व्यवहार और प्राथमिकताओं का विश्लेषण करके, पुस्तकालय व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर सुझाव और संसाधन तैयार कर सकते हैं। एआई साहित्यों के उपयोग पैटर्न का विश्लेषण करके और विशिष्ट संसाधनों की भविष्य की मांग का अनुमान लगाकर संग्रह विकास को अनुकूलित करने में मदद कर सकता है।

अनुक्रमण स्वचालन पाठकों को नई सामग्री खोजने, विशिष्ट और सटीक साहित्य सामग्री उपलब्ध कराकर और विभिन्न विषयों के बीच नेविगेट करने में भी एआई मदद करेगा, जो मैन्युअल अनुक्रमण के साथ आसानी से संभव नहीं है, जिससे पाठकों और कर्मचारियों का समय बचेगा। किसी एक विषय पर दस्तावेज़ों का मिलान करना या समान विषय, समाधान या घटना का वर्णन करने वाले अनुभाग जोड़ना संभव है। विषय से प्रासंगिक रूप से संबंधित हज़ारों दस्तावेजों की सामग्री की तुलना कर सकते हैं। दुनियाभर में उपलब्ध साहित्यों में से एआई विषय अनुसार दस्तावेज को खोजकर उसका अध्ययन करके उसका डाटा पाठकों को जल्द प्रदान करता है। शोधपत्रों के वास्तविक पाठ पर आधारित एआई एल्गोरिदम वास्तविक शोध की बेहतर मानचित्रण प्रणालियाँ तैयार करेगा, जिससे शोधकर्ताओं के लिए यह सहायक साबित होंगे। किसी भी पुस्तक या लेखों का सारांशीकरण एआई की मदद से करना बेहद आसान प्रक्रिया है, बड़े-बड़े डेटा को यह छोटे-छोटे पैराग्राफ में उपलब्ध कर देता है।

एआई साधन नई पुस्तक, पत्रिका या अन्य साहित्य प्रकाशित होने पर अलर्ट और ग्राहकों को विशिष्ट पुस्तकालय संसाधनों तक निर्देशित कर सकते हैं। बार-बार दोहराए जाने वाले प्रश्नों के उत्तर देने की झंझट खत्म होगी, दुहराव रुकेगा, समय की बचत होगी। पुस्तकालय के काम में गुणवत्ता बढ़ेंगी। शोध का सत्यापन या पुन: प्रयोज्यता उसके पाठकों की संख्या से अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ठोस और मान्य शोध ही है जो व्यापक पाठकों का हकदार है। पुस्तकालय प्रक्रियाओं और डिजिटल संसाधनों में मशीन लर्निंग को लागू करने से संग्रह विश्लेषण, विज़ुअलाइज़ेशन और संरक्षण को अनुकूलित किया जा सकता है और सेवाओं के प्रावधान से जुड़ी लागतों को कम किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरण उन्नत खोज क्षमताएँ प्रदान करके, प्रासंगिक संसाधनों की अनुशंसा कर डेटा विश्लेषण में सहायता द्वारा छात्रों और शोधकर्ताओं की मदद होती है। पुस्तकालयों में वर्चुअल असिस्टेंट और चैटबॉट का उपयोग काफी सामान्य हो गया है, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर देकर मार्गदर्शन होता है, इससे संबंधित कर्मचारियों का काम आसान हो गया है।

एआई पुस्तकालय सेवाओं को बढ़ा सकता है और सतर्कता में सुधार कर सकता है, लेकिन यह एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह, डेटा सुरक्षा, कॉपीराइट संबंधी चिंताएँ और मानवीय संपर्क के संभावित विस्थापन के बारे में चिंताएं भी पैदा करता है। एआई से कोई भी तथ्य प्राप्त कर सकता है, लेकिन यह समझना कि उन तथ्यों का क्या अर्थ है, वे कैसे जुड़ते हैं, और क्या वे विश्वसनीय हैं, यहीं पर मानवीय विशेषज्ञता अमूल्य हो जाती है। एआई-संचालित स्वचालन पुस्तकालय कर्मचारियों और पाठकों के बीच मानवीय संपर्क को कम कर सकता है, जिससे पुस्तकालयों द्वारा उपयोग किए जाने वाले व्यक्तिगत समर्थन और मार्गदर्शन पर संभावित रूप से असर पड़ सकता है। एआई का उपयोग गलत सूचना उत्पन्न करने और झूठ फैलाने के लिए भी होने की संभावना है, जिससे सूचना के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में पुस्तकालय की भूमिका को चुनौती मिल सकती है। विश्व में मोबाइल और कंप्यूटर क्रांति मनुष्य के विकास के लिए हुई, लेकिन इस तकनीक के नुकसान भी देखने मिल रहे है। आज साइबर क्राइम, सोशल मीडिया एडिक्शन, ऑनलाइन फेक पहचान, पैसे लगाकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स, असहज करने वाले भड़काऊ विज्ञापन, ई-अपशिस्ट, रेडिएशन इससे हर साल अरबों डॉलर का नुकसान होता है, साथ ही बड़ी मात्रा में जानमाल, अमूल्य स्वास्थ्य व पर्यावरण की हानि होती है। इसी तरह कृत्रिम बुद्धिमत्ता से भविष्य में होनेवाले दुरूपयोग या संकटों को भी नकारा नहीं जा सकता।

एआई इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी में से ही सूचनाओं को आवश्यकतानुसार छानकर प्रस्तुत करता है। पुस्तकालयों को सभी पाठकों के लिए एआई संचालित सेवाओं को सुलभ बनाने का प्रयास करना चाहिए, पुस्तकालयों को पुस्तकालय के मूल्यों के अनुरूप समाधान विकसित और कार्यान्वित करने के लिए पुस्तकालयाध्यक्षों, प्रौद्योगिकीविदों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपनाते हुए, पुस्तकालयों को अपनी सेवाओं के मानवीय पहलू को बनाए रखने और बढ़ाने का भी प्रयास करना चाहिए। हालाँकि एआई पुस्तकालयों के लिए कई लाभ प्रदान करता है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए संभावित खतरों और चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण है। भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का असर बेहद तेजी से मानवीय विकास में होगा यही मानकर हम इसका सदुपयोग करेंगे और पुस्तकालय उन्नत बनाने में इसका योगदान अमूल्य साबित हो सकता है, केवल हमें इसके उपयोग में पारंगत, सतर्क और जागरूक होना जरुरी है।

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