भोपाल गैस त्रासदी 1984: कारण, और प्रभाव | भारत की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना
भोपाल गैस त्रासदी 1984 संक्षिप्त नोट
भोपाल गैस त्रासदी भारत ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड (Union Carbide India Limited) के कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई और लाखों प्रभावित हुए।
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की पृष्ठभूमि
क्या था यूनियन कार्बाइड का प्लांट?
1970 के दशक में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) ने भोपाल में एक कीटनाशक फैक्ट्री स्थापित की। यह प्लांट Sevin (कार्बरिल) नामक कीटनाशक बनाता था, जिसमें एक अत्यधिक विषैली रसायन मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) का उपयोग होता था।
सुरक्षा प्रबंधों की अनदेखी
समय के साथ, कंपनी ने लागत कम करने के उद्देश्य से कई सुरक्षा उपायों को हटा दिया या बंद कर दिया। गैस डिटेक्टर, शीतलन प्रणाली और फ्लेयर टॉवर जैसी आवश्यक प्रणालियाँ पूरी तरह क्रियाशील नहीं थीं।
घटना की रात: 2-3 दिसंबर 1984
जहरीली गैस कैसे फैली?
2 दिसंबर 1984 की रात को लगभग 11:30 बजे टैंक नंबर 610 में पानी घुस गया, जिससे रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू हुई। कुछ ही समय में तापमान और दबाव इतना बढ़ गया कि टैंक से जहरीली गैस वातावरण में फैलने लगी।
गैस का प्रभाव
- गैस हवा के साथ आसपास की बस्तियों में फैल गई।
- सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके: जयप्रकाश नगर, रेलवे कॉलोनी, छोला रोड आदि।
- गैस ने सीधे लोगों की आंखों, फेफड़ों और त्वचा पर असर डाला।
न्याय की तलाश और कानूनी कार्यवाही
यूनियन कार्बाइड पर मुकदमा
- 1989 में, भारत सरकार और यूनियन कार्बाइड के बीच $470 मिलियन डॉलर (करीब ₹715 करोड़) का समझौता हुआ।
- लोगों को यह राशि न्याय की तुलना में बहुत कम और असंतोषजनक लगी।
- कंपनी के सीईओ वॉरेन एंडरसन को गिरफ्तार किया गया लेकिन जल्दी ही जमानत पर छोड़ दिया गया और वह अमेरिका भाग गया।
डाऊ केमिकल्स की भूमिका
2001 में यूनियन कार्बाइड को डाऊ केमिकल्स ने खरीद लिया, लेकिन डाऊ ने कानूनी जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया।
भोपाल त्रासदी के कारण और प्रभाव
मुख्य कारण
- सुरक्षा उपायों की अनदेखी
- कर्मचारियों का अपर्याप्त प्रशिक्षण
- खराब रखरखाव
- लागत कम करने के लिए खतरनाक फैसले
सामाजिक प्रभाव
- लाखों लोग गरीबी, बीमारी और बेरोजगारी की चपेट में आ गए
- आज भी प्रभावित इलाकों में जमीन और पानी प्रदूषित है
- पीढ़ियों तक स्वास्थ्य समस्याएं बनी हुई हैं
भोपाल त्रासदी से क्या सीखा जा सकता है?
सरकार और जनता को जागरूक होना जरूरी
- पर्यावरण सुरक्षा कानूनों को सख्ती से लागू करना चाहिए
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों को जवाबदेह बनाना जरूरी है
- जनता को भी औद्योगिक गतिविधियों के प्रति जागरूक और सतर्क रहना चाहिए
निष्कर्ष
भोपाल गैस त्रासदी 1984 केवल एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक ऐसी त्रासदी थी जिसे अगर समय रहते रोका जाता, तो हजारों जानें बच सकती थीं। यह घटना आज भी औद्योगिक लापरवाही और न्याय की विफलता का प्रतीक है।
भोपाल गैस दुर्घटना का क्या कारण था?
भोपाल गैस त्रासदी का मुख्य कारण यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव था, जो सुरक्षा उपायों की अनदेखी और रखरखाव में लापरवाही के कारण हुआ।
1984 में भोपाल गैस त्रासदी के कारण हुई मृत्यु की स्मृति में कौन सा दिन मनाया जाता है?
2 दिसंबर को हर वर्ष भोपाल गैस त्रासदी स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि इस दुखद घटना को याद रखा जा सके।
1984 की भोपाल त्रासदी में कौन सी गैस छोड़ी गई थी?
इस त्रासदी में मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate – MIC) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।