भोपालसिंधियत

भोपाल में पहली बार 1949 में मना था राजावीर विक्रमादित्य महोत्स8

संतनगर.भोपाल डॉट कॉम

भारत पाकिस्तान विभाजन के वक्त सिंध से आकर विस्थापित हुए सिंधी समाज ने अपने पर्व एवं त्योहार मनाने का सिलसिला थमने नहीं दिया। रोजीरोटी के संघर्ष के साथ सिंधियत से जुड़े रहे। राजधानी भोपाल के सबसे प्राचीन राजावीर विक्रमादित्य मंदिर इसरानी मार्केट हमीदिया रोड में वर्ष 1949 से राजावीर विक्रमादित्य (मेले) महोत्सव निरंतर मनाया जा रहा है। 74वें राजावीर विक्रमादित्य महोत्सव की तैयार जोर शोर से चल रही हैं। दो दिवसीय आयोजनों (यह मेला शुक्रवार को संध्या आरती से शुरू हो कर यह मेला निरंतर सोमवार सुबह  4:00 बजे पल्लव के बाद समाप्त होता है।) के बीच मनाया जाएगा।

आयोजन समिति के अध्यक्ष लखू अंदानी ने बताया कि इस वर्ष 16 व 17 मार्च को आयोजन होगा। 16 मार्च सुबह 12 बजे बहिराणा साहिब सजा कर  संतो द्वारा दीप ज्वलित   होगा, जिसमें इस बार सतों द्वारा संगत को निहाल कर सत्संग एवं पल्लव होगा। संत साई लाल दास जी (चक्करभाटा) एवं संत साई ओमी राम जी वसण शाह दरबार (ऊलाहनगर)से आएंगे। सिंध से आने के बाद से ही राजावीर विक्रमादित्य महोत्सव मनाने की शुरूआत हुई थी, हर साल सिंधी समाज के लोग राजवीर की पूजा अर्चना और आरती करने हजारो श्रद्धालु आते हैं ओर अपनी मनोकामना पुरी करते हैं।

भोपाल में साल 1949 में पहली बार राजवीर विक्रमादित्य महोत्सव की शुभारंभ हुआ ।  मेले के आज तक के सफर में रेवतमल अंदानी,  जेठानंद लालचंदानी, गेहीमल  कुंदानी, अमल मल राजदेव, पजाणमल, लालचंद अंदानी, वीरभान कल्याणी, चन्द्र शेखर कंजानी, रामचन्द्र मूलचंदानी, मोहन लाल कुंदानी के नाम जुड़े हैं, जिनकी परंपरा को मौजूदा सेवाधारी आगे बढ़ा रहे हैं। राजवीर विक्रमादित्य मंदिर समिति के अध्यक्ष लखू  अंदानी, रवि कंजानी, वासदेव कल्याणी नरेश अंदानी और किशन टेकचंदानी आयोजन की तैयारियों में लगे हुए हैं।

हीरो लालवानी

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