भोपाल: BDC New. ब्यूरो
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जहाँ गुरुवार को लाड़ली बहनों के खाते में ₹250 का रक्षाबंधन उपहार भेजा, वहीं प्रदेश की लगभग 50 हजार महिला अतिथि शिक्षकों को जुलाई का मानदेय न मिलने से त्योहार की खुशी फीकी पड़ गई है। ऑनलाइन हाजिरी (ई-अटेंडेंस) का डेटा न मिल पाने के कारण कुल सवा लाख अतिथि शिक्षकों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है।
ई-अटेंडेंस में समस्या बनी देरी की वजह
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दी है, लेकिन ‘हमारे शिक्षक’ ऐप में तकनीकी खामियाँ, भारी बारिश, और ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क न होने के कारण शिक्षकों को हाजिरी लगाने में दिक्कतें आ रही हैं। इसी वजह से जुलाई का मानदेय रुका हुआ है।
परिहार ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि स्थायी शिक्षकों की तरह ही अतिथि शिक्षकों को भी ऑफलाइन उपस्थिति के आधार पर रक्षाबंधन से पहले जुलाई का मानदेय दिया जाए।
‘स्थायी शिक्षकों को दिया, तो हमें क्यों नहीं?’
सुनील सिंह परिहार ने सरकार से सवाल किया, “जब स्थायी शिक्षकों को ऑफलाइन हाजिरी के आधार पर वेतन मिल चुका है, तो अतिथि शिक्षकों के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है?” उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारी जानबूझकर मानदेय रोककर सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। परिहार ने यह भी कहा कि रक्षाबंधन जैसे बड़े त्योहार पर हजारों महिला अतिथि शिक्षकों को वेतन से वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है।
रिक्त पदों पर फॉलन आउट अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की मांग
समिति ने यह भी मांग की है कि लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) के आदेश के बावजूद कई स्कूलों में रिक्त पदों को अभी तक पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया है। परिहार ने कहा कि इन खाली पदों पर महाविद्यालयों में काम कर रहे अतिथि विद्वानों की तरह ही सीधी भर्ती या पदोन्नति से बाहर हुए अतिथि शिक्षकों को मौका दिया जाना चाहिए।