राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन: लोकतंत्र, प्रगति और आत्मनिर्भर भारत पर जोर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन: लोकतंत्र, प्रगति और आत्मनिर्भर भारत पर जोर

नई दिल्ली.BDC News

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत की लोकतांत्रिक नींव, प्रगति और भविष्य के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत, जिसे लोकतंत्र की जननी कहना उचित है, का लोकतांत्रिक भवन हमारे संविधान की आधारशिला पर निर्मित हुआ है। उन्होंने न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व को संविधान के चार प्रमुख स्तंभ बताया, जो हमारी सभ्यता के भी मूल सिद्धांत हैं।

राष्ट्रपति ने देश के विभाजन की त्रासदी को याद करते हुए कहा कि हमें इस पीड़ा को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का उल्लेख करते हुए इतिहास की इस गलती के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

आर्थिक प्रगति की बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारत, स्वतंत्रता के समय घोर गरीबी से जूझ रहा था, लेकिन पिछले 78 वर्षों में असाधारण प्रगति की है। उन्होंने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बताया, जिसकी वृद्धि दर 6.5% रही। उन्होंने इस प्रगति का श्रेय श्रमिकों, किसानों, और सरकार के कुशल आर्थिक प्रबंधन को दिया। उन्होंने कहा कि सुशासन के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है और कल्याणकारी योजनाओं से उन्हें सुरक्षा मिली है।

अपने संबोधन में, राष्ट्रपति ने बुनियादी ढांचे के विकास पर भी जोर दिया, जिसमें भारतमाला परियोजना, रेलवे का आधुनिकीकरण और शहरी परिवहन में मेट्रो का विस्तार शामिल है। उन्होंने कश्मीर घाटी में रेल-संपर्क को एक बड़ी उपलब्धि बताया, जो क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगा।

स्वास्थ्य और डिजिटल क्षेत्र में प्रगति पर बोलते हुए, उन्होंने ‘आयुष्मान भारत’ को विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य-सेवा योजना बताया, जिसने 55 करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान किया है। उन्होंने 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना का लाभ देने की घोषणा की। डिजिटल इंडिया की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 4G कनेक्टिविटी और डिजिटल भुगतान ने अभूतपूर्व प्रगति की है, और आज दुनिया के आधे से अधिक डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में एक मजबूत, समावेशी और प्रगतिशील भारत की तस्वीर पेश की, जो अपने संविधान के मूल्यों पर अडिग रहते हुए निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।

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