सिंधी विकास बोर्ड के गठन की मांग फिर उठी
लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला थे मांग से सहमत
आखिर कब तक करेंगे इंतजार- आसवानी
हिरदाराम नगर। BDC NEWS
सिंधी सेंट्रल पंचायत संतनगर के प्रतिनिधियों ने सिंधी विकास बोर्ड के गठन की मांग को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से दिल्ली में मुलाकात की थी। बोर्ड के प्रमुख के लिए सांसद शंकर लालवानी का नाम सुझाया था। जिस पर लोकसभा अध्यक्ष सैद्धांतिक रूप से सहमत भी थे, लेकिन कुछ समय बाद ही कोरोना संक्रमण के कारण, मुद्दा आधे में रह गया।
अखिल भारतीय सिन्धी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागरानी,प्रदेशाध्यक्ष डॉ सी.पी देवानी व अखिल भारतीय सिन्धी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष जगदीश आसवानी ने एक एक बार फिर वही मांग उठाई है। एक बयान में कहा है कि इसे सिन्धियों का दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि स्वतंत्र भारत में सिंधु प्रदेश नहीं बन सका! जबकि कच्छ, गांधीधाम, सौराष्ट्र एवं सिंध का एक हिस्सा मिलाकर सिंधु प्रदेश प्रस्तावित था। आजादी के 74 साल बाद भी सिंधी समाज राजनीतिक आरक्षण से वंचित है।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले
बयान में मांग की गई है कि जहां पांच हजार सिंधी हैं वहां पार्षद, जहां 50 हज़ार वोटर हैं वहां विधायक और जहां दो लाख सिंधी हैं, वहां सांसद कि टिकट सिंधी भाषी नेता को दिया जाए। अनेक राज्यों में सिंधी विस्थापितों के जमीन, दुकान, मकानों के पट्टा प्रकरण लंबित हैं, जिस कारण सम्पत्ति ख़रीदने व बेचने में परेशानी आ रही है।
कैसा हो सिंधी बोर्ड
राष्ट्रीय स्तर पर सिंधी विकास बोर्ड के गठन कर सांसद शंकर लालवानी को केबिनेट का दर्जा देकर उनकी अध्यक्षता में 21 सदस्यों के बोर्ड बनाया जाए, जिसका कार्यकाल दो साल हो, ताकि बोर्ड देशभर की सिंधी बस्तियों का दौरा कर सके। समस्याओं की रिपोर्ट तैयार कर केन्द्र सरकार को दे, जिसे सिंधी समाज के साथ न्याय हो सके।
यह मिले थे लोस अध्यक्ष से
ईदगाहल्स सिंधी पंचायत के अध्यक्ष जयकिशन लालचंदानी, अखिल भारतीय सिन्धी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष व सिन्धी सेंट्रल पंचायत के उपाध्यक्ष जगदीश आसवानी, रेलवे उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के सदस्य नितेश लाल, कपड़ा एसोसिएशन के अध्यक्ष कन्हैयालाल इसरानी, सिंधी सेंट्रल पंचायत के महासचिव सुरेश जसवानी, उपाध्यक्ष वासुदेव वाधवानी।
यह मांगें कीं
- लुप्त होती सिंधी भाषा को रोजगार से जोड़ा जाए
- राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद का जिम्मा सिंधी व्यक्ति के पास ही हो।
- परिषद का बजट आठ करोड़ से घटाकर 2.20 करोड़ कर दिया गया है।