संत हिरदाराम नगर (भोपाल)। BDC News
अखिल भारतीय सिंधी समाज के राष्ट्रीय मुख्य सलाहकार एवं सिंधी सेंट्रल पंचायत के महासचिव सुरेश जसवानी ने सिंधी सम्मेलनों की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए तीखे लहजे में कहा है कि ‘वाजिब हक के बिना सिंधी सम्मेलन बेमानी हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के 78 साल बाद भी देश-विदेश के किसी भी सम्मेलन में सिंधी समाज की समस्याओं के समाधान पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया। जसवानी ने आगामी मनीला और भोपाल सम्मेलनों की पृष्ठभूमि में यह बयान दिया।
पाकिस्तान से विस्थापन और सुरक्षा की मांग
जसवानी ने पाकिस्तान में रह रहे लगभग 15 लाख सिंधी हिंदुओं की दयनीय सुरक्षा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे अतिवादियों की कारगुजारी और जबरन धर्म परिवर्तन का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) से सिंधी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने की अपील की। साथ ही, उन्होंने भारत सरकार से इन 15 लाख सिंधी हिंदुओं को भारत लाकर उनके लिए जमीन, रोजगार और बुनियादी जरूरतों का तत्काल बंदोबस्त करने की मांग की।
भाषा और रोजगार का गहरा नाता
भारत में सिंधी भाषा और संस्कृति के लगातार हो रहे ह्रास पर चिंता जताते हुए, जसवानी ने सिंधी लिपि को बचाने के लिए इसे सीधे रोजगार से जोड़ने का आह्वान किया।
शिक्षकों की नियुक्ति: उनका सुझाव है कि 12वीं में सिंधी लिपि उत्तीर्ण करने वालों को सिंधी टीचर और स्नातकों को कॉलेज प्रोफेसर नियुक्त किया जाए।
मातृभाषा का संकल्प: उन्होंने सिंधी माता-पिता से अपने बच्चों से कम से कम 8 साल तक मातृभाषा में बात करने का संकल्प लेने की अपील की।
आरक्षण, बजट और मालिकाना हक की लड़ाई
- आरक्षण: उन्होंने कहा कि सिंधी समाज आजादी के बाद आरक्षण का सबसे पहला हकदार था। इसलिए, सरकारी नौकरियों और चुनावों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
- बजट और बोर्ड: सिंधी कल्चरल बोर्ड का गठन हो और सिंधी भाषा विकास परिषद का बजट बढ़ाकर ₹20 करोड़ किया जाए।
- मालिकाना हक: महाराष्ट्र की तर्ज़ पर मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में सिंधी हिंदुओं को उनकी प्रॉपर्टी का मालिकान हक संबंधी कागजात तुरंत प्रदान किए जाएं।
- पुरानी घोषणाओं पर अमल: 31 मार्च 2023 को हुई सरकारी घोषणाओं (जैसे 8 हज़ार एकड़ जमीन और ₹5 करोड़ बजट) पर जल्द अमल किया जाए।