धर्म डेस्क. BDC News
वर्ष 2026 में शनि देव की साढ़े साती की स्थिति वर्ष की शुरुआत से अंत तक अपरिवर्तित रहेगी, क्योंकि इस दौरान शनि का राशि परिवर्तन नहीं होगा। शनि इस पूरे वर्ष अपनी स्वराशि कुंभ में ही गोचर करेंगे। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जब शनि किसी राशि से पिछली राशि (बारहवीं), अपनी राशि (पहली) और अगली राशि (दूसरी) में गोचर करते हैं, तो उन राशियों पर साढ़े साती का प्रभाव होता है।
वर्ष 2026 में, शनि की साढ़े साती का प्रभाव मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन राशियों पर रहेगा:
- मीन राशि (Pisces): मीन राशि पर शनि की साढ़े साती का पहला चरण (आरंभिक) रहेगा। यह चरण मीन राशि वालों के लिए व्यय और बाहरी मामलों में अधिक सक्रियता ला सकता है, जिससे शुरुआती परेशानियाँ और चुनौतियाँ महसूस हो सकती हैं।
- कुंभ राशि (Aquarius): कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण (चरम/शिखर) रहेगा। यह चरण सबसे अधिक निर्णायक और कठिन माना जाता है, क्योंकि शनि अपनी ही राशि में लग्न भाव में होते हैं। इस दौरान स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और करियर में बड़े बदलाव या तनाव देखने को मिल सकते हैं।
- मकर राशि (Capricorn): मकर राशि पर साढ़े साती का तीसरा चरण (अंतिम) रहेगा। यह चरण शनि के गोचर का अंतिम हिस्सा है, जिसे उतरती हुई साढ़े साती भी कहा जाता है। यह चरण आमतौर पर पिछले चरणों की तुलना में अधिक राहत देता है, लेकिन धन और परिवार से जुड़े मामलों में कुछ सबक सिखाकर जाता है।
इसके अलावा, कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या (Choti Sati) का प्रभाव रहेगा। कुल मिलाकर, 2026 में साढ़े साती के प्रभाव को कम करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए शनि देव के मंत्रों का जाप और हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाएगी।
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