रक्षाबंधन 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि
1. रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है। यह दिन केवल राखी बांधने का नहीं, बल्कि आपसी विश्वास, स्नेह और रक्षा के वचन का प्रतीक है। प्राचीन काल से यह पर्व भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। कहा जाता है कि राखी केवल भाई-बहन के लिए नहीं, बल्कि रक्षा और शुभकामना के भाव के लिए किसी भी प्रियजन को बांधी जा सकती है।
इस वर्ष, रक्षाबंधन 2025 का पर्व शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह सावन माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं, और भाई बहन की आजीवन रक्षा का संकल्प लेते हैं।
2. रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त 2025 की सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी। इस अवधि में राखी बांधना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
- सुबह का शुभ समय: 5:47 AM से 1:24 PM
- अपराह्न का विशेष मुहूर्त: 1:41 PM से 2:54 PM (यदि सुबह के समय संभव न हो)
- भद्रा काल: इस वर्ष रक्षाबंधन के मुख्य समय पर भद्रा का प्रभाव नहीं रहेगा, इसलिए पूरा दिन शुभ माना जा सकता है।
यदि आप राखी बांधने के समय का चयन कर रहे हैं, तो कोशिश करें कि यह कार्य पूर्णिमा के मध्य भाग में हो, जब सूर्य का प्रकाश तेज हो और वातावरण शुद्ध हो।
3. रक्षाबंधन की पारंपरिक पूजा विधि (Pooja Vidhi)
(क) तैयारी
- एक साफ-सुथरी थाली लें।
- उसमें रोली, चावल (अक्षत), रक्षा सूत्र (राखी), दीपक, अगरबत्ती, मिठाई और फूल रखें।
- थाली में कलश के साथ जल भी रखें, जो पवित्रता का प्रतीक है।
(ख) भाई को बैठाना
- भाई को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बैठाएँ।
- बहन को उसके सामने बैठना चाहिए।
(ग) पूजा की शुरुआत
- तिलक लगाना: सबसे पहले बहन रोली और चावल से भाई के माथे पर तिलक करे।
- आरती उतारना: दीपक जलाकर भाई की आरती करें।
- रक्षा सूत्र बांधना: राखी को भाई की दाहिनी कलाई पर बांधें और यह मंत्र बोलें—”ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”यह मंत्र भाई के जीवन में स्थिरता और रक्षा का आशीर्वाद देता है। - मिठाई खिलाना: राखी बांधने के बाद भाई को मिठाई खिलाएँ।
(घ) भाई का वचन और आशीर्वाद
- भाई बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन लेता है।
- बहन भाई के सुखमय जीवन की कामना करती है।
4. रक्षाबंधन से जुड़ी मान्यताएँ और पौराणिक कथाएँ
रक्षाबंधन की महिमा केवल एक पारिवारिक उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ भी हैं
- कृष्ण और द्रौपदी: महाभारत में द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहने पर अपनी साड़ी का टुकड़ा बांध दिया था। बदले में कृष्ण ने उसकी रक्षा का वचन दिया।
- इन्द्र और इन्द्राणी: पौराणिक कथा के अनुसार, इन्द्राणी ने इन्द्र की विजय के लिए रक्षा सूत्र बांधा था।
ये कथाएँ दर्शाती हैं कि रक्षा सूत्र केवल रक्त-संबंधी भाई-बहन के लिए नहीं, बल्कि रक्षा और प्रेम का सार्वभौमिक प्रतीक है।
5. सावधानियाँ
- राखी बांधने से पहले हाथ और पूजा स्थल को साफ रखें।
- भद्रा काल या अशुभ समय में राखी न बांधें।
- यदि भाई दूर रहता है तो राखी पोस्ट या कूरियर से भेजकर उसी दिन का पालन करें।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन 2025 भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और संरक्षण का उत्सव है। इस वर्ष 9 अगस्त को सुबह 5:47 से दोपहर 1:24 बजे तक का समय सबसे उत्तम रहेगा। पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें सच्चे भाव और आशीर्वाद का होना सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिन केवल एक धागा नहीं, बल्कि एक मजबूत बंधन बांधा जाता है—जो जीवनभर अटूट रहता है।
आपका रक्षाबंधन प्रेम, खुशी और समृद्धि से भरपूर हो।