धर्ममध्य प्रदेश

दमोह मुक्तिधाम में अब गोबर की लकड़ी से होगा अंतिम संस्कार

दमोह. रंजीत अहिरवार,BDC News

शहर के हटा नाका स्थित मुक्तिधाम में अब अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की जगह गोबर से बनी लकड़ी यानी गौकाष्ठ का उपयोग किया जाएगा। मुक्तिधाम समिति ने इस पहल के लिए 1.5 लाख रुपये की लागत से एक प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। इस प्लांट में गोबर की लकड़ी और कंडे तैयार किए जाएंगे, जो लोगों को किफायती दामों पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

पेड़ों को बचाने का प्रयास:

मुक्तिधाम समिति का यह कदम पेड़ों को कटने से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। एक शव के अंतिम संस्कार में लगभग 4 से 5 क्विंटल लकड़ी लगती है। दमोह मुक्तिधाम में हर महीने 40 से 50 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में लकड़ी की खपत होती है।

गौकाष्ठ के लाभ:

गोबर की लकड़ी और कंडों का उपयोग करने से न केवल पेड़ों की बचत होगी, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। गोबर की लकड़ी से अंतिम संस्कार में कम लकड़ी की आवश्यकता होती है, जिससे हर साल लगभग 200 पेड़ों को बचाया जा सकेगा। प्रारंभिक चरण में, गौकाष्ठ और लकड़ी दोनों का उपयोग किया जाएगा, लेकिन भविष्य में गौकाष्ठ का उत्पादन बढ़ने पर लकड़ी का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।

प्लांट की स्थापना और उत्पादन:

मुक्तिधाम में भगवान शिव की प्रतिमा के पास गौकाष्ठ बनाने की मशीन लगाई जाएगी। पशु विशेषज्ञों के अनुसार, एक गाय 24 घंटे में 8 से 10 किलो गोबर देती है। मशीन एक घंटे में 100 किलो गोबर का उपयोग कर सकती है, जिससे 60 किलो गोबर से 15 किलो गोबर की लकड़ी तैयार होगी।

किफायती और पर्यावरण अनुकूल:

गोबर की लकड़ी और कंडे न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि यह किफायती भी हैं। लकड़ी की तुलना में गोबर की लकड़ी जलाने में कम घी या तेल का उपयोग होता है। मुक्तिधाम समिति के सदस्य उमा गुप्ता ने बताया कि इस पहल की तैयारी एक साल से चल रही है और जल्द ही लोगों को मुक्तिधाम में ही गौकाष्ठ उपलब्ध कराया जाएगा।

दमोह मुक्तिधाम की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गोबर की लकड़ी और कंडों का उपयोग न केवल पेड़ों को बचाएगा, बल्कि अंतिम संस्कार को अधिक पर्यावरण अनुकूल भी बनाएगा।

भोपाल डॉट कॉम, ब्यूरो

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