हरियाली पर ‘विकास की कुल्हाड़ी]… आज दौर है तरक्की का, जेहनों में अंधेरा है सड़कों पर उजाला है
इंदौर. BDC News,ब्यूरो
इंदौर-खंडवा रेल परियोजना को आखिरकार वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया है, जिससे इस महत्वपूर्ण परियोजना के काम में तेजी आएगी। हालांकि, इस परियोजना के लिए एक लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की जाएगी। रेल विभाग ने सर्वे पूरा कर लिया है और अब जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है। यह रेल मार्ग उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला सबसे छोटा और सीधा रास्ता साबित होगा।
पर्यावरण की भरपाई की शर्त:
वन विभाग ने परियोजना को अनुमति देते समय एक महत्वपूर्ण शर्त रखी है। रेल विभाग को काटे जाने वाले हर पेड़ के बदले तीन पौधे लगाने होंगे, जिससे पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। यह अनुमति लंबे समय से लंबित थी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के हस्तक्षेप के बाद ही रेलवे अधिकारियों और वन विभाग के बीच संयुक्त बैठक हो पाई, जिसके बाद यह बाधा दूर हुई।
विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन:
इंदौर-खंडवा रेल लाइन के साथ-साथ, इंदौर-खंडवा इच्छापुर फोरलेन का काम भी चल रहा है, जिसके लिए पहले ही भैरवघाट के जंगलों से डेढ़ लाख से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। इस फोरलेन परियोजना में तीन सुरंगें भी वन क्षेत्र में बनाई गई हैं। अब इस क्षेत्र में रेल लाइन का काम शुरू होने से विकास की गति और तेज होगी।
कनेक्टिविटी और आर्थिक लाभ:
इस रेल परियोजना के पूरा होने के बाद इंदौर सीधे दक्षिण भारत के राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल से जुड़ जाएगा। इससे यात्रियों को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जैसे धार्मिक स्थलों पर पहुँचने में आसानी होगी। इसके अलावा, मालवा और निमाड़ क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों को अपनी उपज दक्षिण भारत के बाजारों तक पहुँचाने में भी काफी मदद मिलेगी। यह परियोजना क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।