ऑपरेशन सिंदूर शतरंज जैसा था, हमें नहीं पता था दुश्मन की अगली चाल: सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी

ऑपरेशन सिंदूर शतरंज जैसा था, हमें नहीं पता था दुश्मन की अगली चाल: सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी

नई दिल्ली: BDC News
थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ ‘अग्निशोध’ का उद्घाटन किया। यह कदम रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भी बात की और इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय बताया।

जनरल द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तुलना शतरंज के खेल से करते हुए कहा, “ऑपरेशन सिंदूर एक ग्रे जोन की तरह था, जहां हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी। हमें दुश्मन के पाले में जाकर उसे ‘चेक और मेट’ देना था, भले ही इसमें हमें अपने कुछ ‘खिलाड़ियों’ को खोना पड़ा।”

राजनाथ सिंह ने दी थी खुली छूट:

उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल को एक बैठक हुई थी। यह पहली बार था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “बस अब बहुत हुआ।” इसके बाद सेना को खुली छूट दी गई कि वह खुद तय करे कि आगे क्या करना है। इस आदेश ने सेना का मनोबल बढ़ाया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया गया।

पीएम मोदी से हुई थी मुलाकात:

जनरल द्विवेदी ने बताया कि 29 अप्रैल को उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम ने ही पूरे देश को एकजुट कर दिया था। इस ऑपरेशन ने पूरे देश को प्रेरित किया और यह दिखाया कि कैसे एक छोटा-सा नाम पूरे देश को जोड़ सकता है।

सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ ‘अग्निशोध’:

आईआईटी मद्रास में स्थापित ‘अग्निशोध’ का मुख्य उद्देश्य सेना के जवानों को उभरती हुई तकनीकों जैसे एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग और मानवरहित प्रणालियों में कुशल बनाना है। इसका लक्ष्य एक तकनीक-सक्षम सैन्य बल तैयार करना है।

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