नई दिल्ली: BDC News ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट ने नकदी बरामदगी मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि जस्टिस वर्मा का आचरण भरोसेमंद नहीं है, इसलिए उनकी याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश का पत्र ‘अमान्य नहीं’
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर आंतरिक जांच पैनल की उस रिपोर्ट को अमान्य ठहराने की मांग की थी, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया था। उन्होंने यह भी दलील दी थी कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना द्वारा यह रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाना असंवैधानिक था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस दलील को भी खारिज कर दिया और मुख्य न्यायाधीश के पत्र को असंवैधानिक नहीं माना।
क्या था पूरा मामला?
यह पूरा मामला तब सामने आया, जब जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से जली हुई नकदी मिलने की खबर आई थी। इसके बाद तत्कालीन सीजेआई ने इस मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी जांच में जस्टिस वर्मा को दोषी पाया और कार्रवाई के लिए अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब जस्टिस वर्मा पर कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।