मेरी कलम

अहिल्याबाई के आलोक में नारी सशक्तिकरण का होगा ‘मोदी दर्शन’

अजय तिवारी
देश के हृदयस्थल मध्यप्रदेश की धरती से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘देवी अहिल्याबाई महिला सम्मेलन’ को संबोधित करना, केवल एक राजनीतिक पड़ाव नहीं, बल्कि भारतीय नारी शक्ति के अदम्य गौरव और राष्ट्र निर्माण में उनके अप्रतिम योगदान को रेखांकित करने वाला एक युगांतकारी अवसर होगा। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर, यह संबोधन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक महत्व से भरा होगा।


तय है प्रधानमंत्री अपने उद्बोधन का आरंभ पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की अद्वितीय विरासत को नमन करते हुए करेंगे। वे अहिल्याबाई के सुशासन, उनकी न्यायप्रियता की अटूट भावना, दूरदर्शी प्रशासनिक कौशल और गहरी धार्मिक आस्था को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करेंगे। अहिल्याबाई का जीवन स्वयं में नारी सशक्तिकरण का एक अप्रतिम दृष्टांत है, और मोदी उन्हें राष्ट्र निर्माण का एक शाश्वत प्रतीक बताएंगे, जिनकी प्रेरणा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। वे यह स्थापित करेंगे की “जिस तरह अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं और प्रजा की रक्षा की, उसी तरह आज का भारत अपनी सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है,” भारतीय नारी के शौर्य को राष्ट्र की सुरक्षा से जोड़ता है।

महिला सशक्तिकरण के कदम

उनके भाषण का एक बड़ा हिस्सा निश्चित रूप से केंद्र सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों को समर्पित होगा। ‘लाड़ली बहना योजना’ और ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ जैसी महत्वाकांक्षी पहलों से लेकर महिला स्व-सहायता समूहों के सुदृढ़ीकरण, ‘लखपति दीदी अभियान’ और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के प्रयासों तक, वे सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करेंगे। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली विभिन्न पहलों का उल्लेख भी अपेक्षित है, जो एक सुरक्षित और समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में सरकार के प्रयासों को दर्शाएगा।

विकास में महिलाओं की भूमिका

प्रधानमंत्री देश के विकास में महिलाओं की बढ़ती भूमिका और उनके बहुमूल्य योगदान की सराहना करेंगे। वे महिलाओं को समाज के हर क्षेत्र में – चाहे वह शिक्षा हो, उद्यमिता हो, या नेतृत्व – आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, और उन्हें आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेंगे। मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव सरकार द्वारा महिला कल्याण और विकास के लिए किए जा रहे कार्यों का विशेष उल्लेख भी उनके भाषण का हिस्सा हो सकता है। मोदी कहेंगे कि अहिल्याबाई के आदर्शों को वर्तमान शासन में भी आत्मसात किया जा रहा है। इस संबोधन में केवल आंतरिक सशक्तिकरण ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण आयाम होगा। मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य और हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए, पाकिस्तान पर निशाना साधना और भारतीय सेना का शौर्य उनके भाषण का एक प्रबल पक्ष हो सकता है। वे आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति और सीमा पार घुसपैठ पर कड़ी प्रतिक्रिया की बात कर सकते हैं। यह संदेश दिया जाएगा कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।


सेना में महिलाओं की भागीदारी

प्रधानमंत्री भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और उनके शौर्य को भी रेखांकित करेंगे। महिला अधिकारियों और जवानों के उदाहरण देकर वे नारी शक्ति को एक नई दिशा में प्रेरित करेंगे, यह दर्शाते हुए कि महिलाएं अब केवल सामाजिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि देश की सीमाओं की सुरक्षा में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।


भविष्य की दिशा का संकेत

प्रधानमंत्री का यह भाषण अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों के प्रति एक श्रद्धांजलि होगा, जिसमें महिला सशक्तिकरण, सुशासन और भारत के समग्र विकास में नारी शक्ति की केंद्रीय भूमिका पर गहन चिंतन और भविष्य की दिशा का संकेत निहित होगा। यह उद्बोधन न केवल महिलाओं को प्रेरित करेगा, बल्कि पूरे देश को लोकमाता के सिद्धांतों पर चलते हुए एक सशक्त और सुरक्षित राष्ट्र के निर्माण के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।

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