सिंधी अधिकारों की बात के लिए गोवा में जुटे, तीन दिनों तक मंथन
देरी से विवाह, टूटते रिश्तों और लुप्त होती सिंधी भाषा पर गहरी चिंता
भोपाल. भोपाल डॉट कॉम
सिंधी समाज के अधिकारों और समस्याओं पर विचार विमर्श के लिए देशभर के सिंधी समाज के 25 शहरों के 200 प्रतिनिधि गोवा में जुटे। मौका था अखिल भारतीय सिंधी समाज के राष्ट्रीय सम्मेलन का। सिंधी परिवारों में युवक, युवतियों के देरी से होते रिश्ते और रिश्ते होने के बाद उनमें आ रही टूटन पर चिंता जताई गई।
संगठन के संस्थापक अध्यक्ष त्रिलोक दीपाली ने हर शहर में सिंधी पंचायत में फैसला बोर्ड का गठन करने का सुझाव दिया। मुंबई अंधेरी की समाज सेविका रेखा बालानी ने टूटते रिश्तों पर कहा कि अगर शादी के बाद मां अपनी बेटी के परिवार में हस्तक्षेप न करें तो टूटन को कुछ कम किया जा सकता है। कोल्हापुर के रमेश तनवानी ने समाज के भीतर बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता जताई।
घोषित करें अल्पसंख्यक
केंद्र सरकार से सिंधी समाज को अल्पसंख्यक घोषित कर उसे मिलने वाली सुविधाएं प्रदान करने की मांग की । साथ ही राजनीति में आरक्षण को जरूरत बताया।
सिंधी भाषा को रोजगार से जोडें
सिंधी भाषा को लुप्त होने से बचने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों से देशभर में सिंधी शिक्षकों के पदों को भरने की मांग की गई।
दिए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव
सम्मेलन में यह भी संकल्प दिलाया गया कि हर सिंधी परिवार अपने घर में मातृभाषा में बच्चों से बात करेगा। सिंधी गायक नरेश गिदवानी और उसके साथियों ने सिंधी गीतों की प्रस्तुति दी।